Sawan 2019: सावन में ‘पार्थिव शिव- लिंग’ की पूजा करने से मिलती है हर कष्टों से मुक्ति

सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा का संकल्प लें. इसके पश्चात किसी साफ एवं पवित्र स्थान पर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करें. शिवलिंग के लिए मिट्टी किसी पवित्र नदी या सरोवर से लें. इस मिट्टी को पुष्प एवं चंदन से शुद्ध करें. मिट्टी में गाय का दूध मिलायें.

श्रावण मास (Photo Credits: Wikipedia)

शिव पुराण में उल्लेखित है कि श्रावण मास शिव जी का मास होता है. इसीलिए इन दिनों में शिव जी का पार्थिव लिंग बनाकर पूजा-अर्चना करने पर विशेष पुण्य-लाभ मिलता है. शिवपुराण में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महात्म्य बताया गया है. मान्यता है कि कलियुग में सर्वप्रथम कुष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव शिवलिंग के पूजन की परंपरा की शुरुआत की थी.

इस महापुराण में यह भी वर्णित है कि पार्थिव शिवलिंग के पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र-लाभ की प्राप्ति होती है. तथा मानसिक एवं शारीरिक कष्टों से भी छुटकारा मिलता है.

स्वयं बनाएं शिवलिंग और करें पूजा-अर्चना

सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा का संकल्प लें. इसके पश्चात किसी साफ एवं पवित्र स्थान पर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करें. शिवलिंग के लिए मिट्टी किसी पवित्र नदी या सरोवर से लें. इस मिट्टी को पुष्प एवं चंदन से शुद्ध करें. मिट्टी में गाय का दूध मिलायें. अब शिव मंत्र का जाप करते हुए इस मिट्टी में गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म को मिलाकर इसका शिवलिंग बनाएं. शिवलिंग बनाते समय आपका मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. सामान्य तौर पर शिवलिंग की ऊंचाई 8 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. ऐसी मान्यता है कि ज्यादा ऊंचे पार्थिव शिवलिंग की पूजा का सही पुण्य-लाभ प्राप्त नहीं हो पाता. शिवलिंग की पूजा करते समय मन ही मन अपनी मनोकामना का ध्यान करते हुए शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाना चढ़ाना चाहिए. प्रसाद के रूप में बेलपत्र, आक का फूल, धतूरा और बेल चढ़ाने के बाद गाय का कच्चा दूध शिवलिंग पर प्रवाहित करना चाहिए. इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को न स्वयं ग्रहण करें और ना ही किसी अन्य को ग्रहण करने के लिए दें.

इस क्रम में करें पार्थिव शिवलिंग की पूजा

ध्यान रहे शिवलिंग बनाने के पश्चात तुरंत इसकी पूजा अर्चना नहीं करनी चाहिए. पार्थिव शिवलिंग तैयार होने के पश्चात प्रथम गणेश जी, फिर विष्णु जी, नवग्रह एवं माता पार्वती आदि का आह्वान करना आवश्यक होता है. इसके पश्चात विधि-विधान से षोडशोपचार करना चाहिए. (इस विधि में सोलह रूपों में पूजा होती है). इसके पश्चात पार्थिव शिवलिंग की शास्त्रवत तरीके से पूजा की जाती है. ऐसा करने से परिवार खुशहाल रहता है. समस्याओं का तत्काल निवारण होता है.

क्यों होती है पार्थिव शिवलिंग की पूजा

ज्योतिषाचार्य पंडित रवींद्र पाण्डेय के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की विधिवत पूजा से अकाल मृत्यु का ग्रह या तो जाता है या फिर मिट जाता है. श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग की पूजा सभी लोग अपने-अपने तरीके से कर सकते हैं, फिर वह चाहे महिला हो या पुरुष. इसमें किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होता. सर्वविदित है कि भगवान शिव कल्याणकारी हैं, जो भी व्यक्ति पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उसकी विधि विधान से पूजा अर्चना करता है, वह दस हजार वर्ष तक स्वर्ग में निवास करता है. शिवपुराण में उल्लेखित है कि पार्थिव शिव पूजन करने के पश्चात सभी दुःखों से मुक्ति मिलती है और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग का पूजन करने वाले की यह लोक ही नहीं बल्कि परलोक में भी शिव भक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

रोग से पीड़ित लोग करें महामृत्युंजय मंत्र का जप

पार्थिव शिवलिंग के समक्ष पूजा-अर्चना करते समय किसी भी या सभी शिव मंत्रों का जाप किया जा सकता है. अगर किसी मंत्र के उच्चारण में असुविधा हो रही है तो ऐसे मंत्र का गलत उच्चारण करने से बेहतर है सरल मंत्रों का चुनाव करें. असाध्य रोग से पीड़ित लोग अथवा उनके पक्ष में कोई योग्य पुरोहित महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं. इस पूजन में दुर्गा सप्तशदी के मंत्रों का जाप भी किया जा सकता है. ऐसा करने से असाध्य रोगों का भी सहज तरीके से उपचार हो जाता है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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