Sankashti Chaturthi April 2020: आज है गणेश संकष्टी चतुर्थी, ऐसे करें गणपति की शोडषोपचार पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी
भगवान गणेश (Photo Credits: Instagram)

Sankashti Chaturthi April 2020: हिन्दु पंचांग में हर चन्द्र मास में दो चतुर्थियां आती हैं. पूर्णिमा के बाद आनेवाली कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturhi) और अमावस्या के बाद आनेवाली शुक्लपक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) कहते हैं. इस दिन भगवान श्रीगणेश (Lord Ganesha) की पूजा होती है और उनका व्रत रखा जाता है. चंद्रोदय के पश्चात चांद को अर्घ्य देकर व्रत पूरा होता है. मान्यता है कि श्रीगणेश विघ्नहर्ता हैं और अपने सभी उपासकों की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आज संकष्टी के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सुख, शांति एवं समृद्धि के लिए चौथ माता और भगवान श्रीगणेश जी की कथा सुनकर पूजा-अर्चना करती हैं. इसके पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात व्रत खोलती हैं. आज श्रीगणेश संकष्टी चतुर्थी की पूजा पूरे हिंदुस्तान में पूरे धूमधाम से की जा रही है. ज्योतिषियों के अनुसार आज चंद्रोदय रात 10.34 बजे दिखेगा.

श्रीगणेशजी करते हैं हर मन्नत पूरी

इस व्रत में भगवान श्रीगणेश जी से अपने बुरे समय, सेहत की समस्या और तमाम अन्य संकट से मुक्ति पाने की प्रार्थना की जाती है. इसके अलावा इस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु को बुध दोष के बुरे परिणामों को नहीं झेलना पड़ता. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से विद्या, बुद्धि, सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश जी से मनोवांछित फलों की याचना की जाती है और मान्यता है कि गणेश जी सारे मन्नत पूरी करते हैं.

तीनों पहर कर सकते हैं गणेशजी की पूजा

वैशाख कृष्णपक्ष की चतुर्थी के दिन गणेश संकष्टी की सोलह उपचारों से वैदिक मन्त्रों के जापों के साथ पूजा की जाती है. सोलह उपचारों से की जानेवाली पूजा को षोडशोपचार पूजा कहते हैं.

श्रीगणेश की पूजा प्रातःकाल, मध्याह्न और सायाह्न में किसी भी समय किया जा सकता है, परंतु श्रीगणेश संकष्टी चतुर्थी की पूजा के लिए मध्याह्न का समय सर्वोत्तम माना जाता है. मध्याह्न के दौरान गणेश-पूजन का समय गणेश-चतुर्थी पूजा मुहूर्त कहलाता है. गणेश-पूजा के समय किये जाने वाले सम्पूर्ण उपचारों को नीचे सम्मिलित किया गया है. इन उपचारों में षोडशोपचार पूजा के सभी सोलह उपचार भी शामिल हैं. दीप-प्रज्वलन और संकल्प, पूजा प्रारम्भ होने से पूर्व किये जाते हैं. श्रीगणेश जी की पूजा करते समय निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi Vrat In Year 2020: जीवन के सभी संकटों से मुक्ति दिलाता है संकष्टी चतुर्थी का व्रत, देखें साल 2020 में पड़ने वाली तिथियों की पूरी लिस्ट

ऊं चतुराय नमः, ऊं गजाननाय नमः,

ऊं विघ्नराजाय नमः, ऊं प्रसन्नात्मने नमः

गणेश संकष्टी की पारंपरिक कथा

एक बार माता पार्वती स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक की मूर्ति बनाकर उसमें प्राणों का संचार उसे आदेश देती हैं कि जब तक मैं स्नान करके वापस नहीं आऊं किसी को अंदर प्रवेश मत करने देना. थोड़ी देर बाद भगवान शिव आए और जब उऩ्होंने अंदर प्रवेश करने की कोशिश की तो गणेश जी ने उन्हें रोका. इस पर भगवान शिव क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से गणेशजी के सिर धड़ से अलग कर दिया.

माता पार्वती पुत्र श्रीगणेश का कटा हुआ सिर देखा तो क्रोधित हो उठीं. तब ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देवताओं ने उनकी स्तुति कर उनके क्रोध को शांत किया और भगवान शिव से बाल गणेश को जिंदा करने का अनुरोध किया. देवताओं की प्रार्थना और माता पार्वती की बाल गणेश जी के प्रति ममता को देखते हुए भगवान शिव ने उनके अनुरोध पर बाल गणेश जी के सर पर हाथी के बच्चे का गर्दन लगाकर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया.