Sankashti Chaturthi 2019: कब है मार्गशीर्ष संकष्टी चतुर्थी, भगवान गणेश की पूजा के दौरान रखें इन बातों का ख्याल, बनेंगे सभी बिगड़े हुए काम
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और इस दिन व्रत रखा जाता है. इस दिन विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने के बाद चंद्रमा के दर्शन करते हैं और फिर व्रत खोलते हैं. इस दिन गणेश जी की पूजा के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना आवश्यक माना जाता है, तभी पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है.
Sankashti Chaturthi 2019: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है. भगवान गणेश (Lord Ganesh) समस्त देवताओं में प्रथम पूजनीय हैं, इसलिए कहा जाता है कि उनकी पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. वैसे तो भगवान गणेश की पूजा के लिए हर दिन शुभ है, लेकिन उन्हें चतुर्थी तिथि बेहद प्रिय है. मान्यता है कि हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा करने से संकटों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. संकष्टी चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष महीने (Margashirsha) में पड़नेवाली संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत और पूजन भक्तों के सभी बिगड़े हुए कामों को बनाने में सहायता प्रदान करता है.
इस साल मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 15 नवंबर 2019 (शुक्रवार) को पड़ रही है. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की आराधना करके उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में आनेवाले संकटों से मुक्ति मिल सकती है.
पूजा के दौरान रखें इन बातों का ख्याल
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और इस दिन व्रत रखा जाता है. इस दिन विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने के बाद भक्त चंद्रमा के दर्शन करते हैं और फिर अपना व्रत खोलते हैं. इस दिन गणेश जी की पूजा के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना आवश्यक माना जाता है, तभी पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है.
- संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का ध्यान करना लाभदायी सिद्ध होता है.
- इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को दिन में सोने से बचना चाहिए.
- संकष्टी चतुर्थी के व्रत में मौन रहना चाहिए या फिर कम बोलना चाहिए.
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
- गणेश जी की पूजा में गुड़हल के फूल और दूर्वा जरूर अर्पित करने चाहिए.
- रात में चंद्र दर्शन के बाद परिवार वालों में प्रसाद बांटकर अपना व्रत पूर्ण करना चाहिए.
- सूर्यास्त के बाद चांद को तिल, गुड़ आदि से अर्घ्य देना चाहिए और फिर व्रत खोलना चाहिए.
- इस व्रत को श्रद्धाभाव, आस्था और विधि-विधान से करने पर जीवन के सारे दुख दूर होते हैं. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2019: मार्गशीष मास के कृष्ण पक्ष की गणेश संकष्टी चतुर्थी का है विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और पूजा विधि
बनने लगते हैं सभी रुके हुए काम
अगर किसी व्यक्ति के जीवन से परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं तो उसे संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखना चाहिए. परेशानियों से निजात पाने के लिए इस दिन शक्कर मिली दही में छाया देखकर उसे भगवान गणेश को अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से रुके हुए सभी काम बनने लगते हैं. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली पावन तिथि मानी जाती है. इस दिन भगवान गणेश को दुर्वा अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है.
गौरतलब है कि हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. हर महीने पूर्णिमा के बाद आनेवाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आनेवाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश की आराधना करके विशेष वरदान प्राप्त किया जा सकता है. खासकर मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन व्रत रखने से पारिवारिक क्लेश दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.