Motivational Hindi Quotes of Ramakrishna Paramahansa: आज देशभर में मां काली के परमभक्त और स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) के गुरु रामकृष्ण परमहंस जी की जयंती (Ramakrishna Paramahansa Jayanti) मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, उनका जन्म फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर हुआ था और यह शुभ तिथि आज है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल के हुगली जिले के कामारपुकुर में हुआ था, जबकि उनकी मृत्यु 15 अगस्त 1886 में हुई थी. उनके जीवन से ऐसे कई प्रसंग जुड़े हैं जिनमें सुखी जीवन, सफलता, मानवता और भक्ति की शक्ति के कई सूत्र छिपे हुए हैं. बचपन में रामकृष्ण परमहंस जी (Ramakrishna Paramahansa) का नाम गदाधर था. उनके पिता का नाम खुदीराम और माता का नाम चंद्रा देवी था.
रामकृष्ण परमहंस को मानवीय मूल्यों का पोषक कहा जाता है, क्योंकि वो महाकाली के जितने महान और परमभक्त थे, उनके विचार भी उतने ही नेक और प्रभावशाली थे. रामकृष्ण जी के विचारों से उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद ने पूरी दुनिया को अवगत कराया था. आप भी रामकृष्ण परमहंस जयंती के इस खास अवसर पर वॉट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर के जरिए उनके इन महान विचारों (Ramakrishna Paramahansa Quotes) को भेजकर अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- दुनिया के हर तीर्थ-धाम हम भले ही कर लें, हमें तब तक सुकून नहीं मिलेगा जब तक हम अपने मन में शांति नहीं खोजते.
2- स्वार्थ संसार का एक ऐसा कुआं है, जिसमें गिरकर निकल पाना बड़ा कठिन होता है.
3- सज्जनों का क्रोध जल पर अंकित रेखा के समान है, जो शीघ्र ही विलुप्त हो जाता है.
4- भगवान से प्रार्थना करो कि धन, नाम, आराम जैसी अस्थायी चीजों के प्रति आपका लगाव दिन-ब-दिन अपने आप कम होता चला जाए. यह भी पढ़ें: Ramakrishna Jayanti 2020 Quotes: रामकृष्ण परमहंस जयंती पर उनके इन अनमोल उपदेशों से लें ईश्वर की भक्ति और मानवता की सीख
5- एक सांसारिक व्यक्ति जो ईमानदारी से भगवान के प्रति समर्पति नहीं है, उसे अपने जीवन में कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए.
बताया जाता है कि महज सात साल की उम्र में ही गदाधर के सिर से उनके पिता का साया उठ गया था, बावजूद इसके उनका साहस कम नहीं हुआ. उनके बड़े भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय कलकत्ता (कोलकाता) में एक पाठशाला के संचालक थे. वे गदाधर को अपने साथ ले गए, लेकिन काफी कोशिशों के बावजूद उनका मन अध्ययन-अध्यापन में नहीं लगा. बड़े भाई रामकुमार की मृत्यु के बाद रामकृष्ण जी ज्यादा ध्यान मग्न रहने लगे. वे काली माता को अपनी माता और ब्रह्मांड की माता के रूप में देखने लगे. कहा जाता है कि उनकी परमभक्ति के कारण ही काली माता ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे.