Rama Navami 2019: इस साल 6 मार्च से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) शुरू हो रही है, जिसका समापन 14 मार्च को होगा. इसी दिन रामनवमी (Ram Navami) भी मनायी जाती है. इस बार रामनवमी पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra) में पड़ने से इसका महत्व (Importance) बढ़ गया है. विद्वानों के मतानुसार 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र सर्वोत्तम होता है और अयोध्या (Ayodhya) में श्रीराम (Shri Ram) ने कौशल्या के गर्भ से पुष्य नक्षत्र में ही जन्म लिया था. ऋग्वेद में पुष्य को शुभ अथवा मांगलिक तारा भी कहा जाता है. मार्च माह में यह नक्षत्र रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक रहता है. इसका एक विशेष पक्ष यह भी है कि इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि होते हैं.
क्या है पुष्य नक्षत्र?
अधिकांश लोग ‘पुष्य’ को ‘पुष्प’ पढ़ते और मानते हैं, लेकिन जहां तक नक्षत्रों की बात है तो ‘पुष्य’ का अर्थ है जो ऊर्जा और शक्ति प्रदान करे. ज्योतिषियों के अनुसार, यह नक्षत्र बहुत शुभ और जनकल्याणकारी होता है. बताया जाता है कि इस नक्षत्र का प्रतीक गाय के थन को माना गया है. इसके पीछे धारणा यह है कि गाय का दूध पृथ्वी के लए अमृत समान होता है. पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजा दूध की तरह तन एवं मन को प्रसन्न करने वाला होता है. यह भी पढ़ें: Gudi Padwa 2019: गुड़ी पड़वा पर इस विधि से करें पूजा, सारी मनोकामनाएं होंगी पूरी
बहुत पवित्र है और मंगलकारी है पुष्य
कुल 27 नक्षत्र होते हैं. इसमें पुष्य नक्षत्र को आठवां स्थान प्राप्त है. इसे सभी नक्षत्रों में सर्वाधिक शुभ नक्षत्र माना गया है, इस दौरान किया गया कोई भी कार्य पुण्यकारी होने के साथ-साथ तुरंत प्रतिफल देने वाला होता है. पुष्य नक्षत्र का संयोग जिस वार के साथ होता है वह महायोगों का निर्माण करता है, क्योंकि चंद्रमा धन का देवता है. चंद्र कर्क राशि में स्वराशिगत होता है.
बारह राशियों में सिर्फ कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा होता है और पुष्य नक्षत्रों के सभी चरणों के दौरान चंद्रमा ही कर्क राशि में स्थित होता है, इसके अलावा चंद्रमा अन्य किसी भी राशि का स्वामी नहीं होता. इन विशेष योगों में खरीदारी करना लाभकारी होता है. इसीलिए इस दिन अधिकांश लोग भूमि, घर, गाड़ी, आभूषण और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के अलावा सोना और चांदी भी खरीदना पसंद करते हैं.
इन्हें प्राप्त होती हैं दिव्य शक्तियां
पुष्य नक्षत्र में जन्में लोगों का आत्मबल बहुत मजबूत होता है. ये तन-मन दोनों से मजूबत होते हैं. इनमें कुछ को दिव्य शक्तियां भी प्राप्त होती हैं. विद्वानों का कहना है कि ऐसे लोगों पर किसी भी तरह की बुरी क्रियाएं मसलन जादू, टोना, टोटका आदि करने से बचना चाहिए. क्योंकि इन पर इसका कोई असर नहीं होता, बल्कि निष्फल होकर यह करने वाले को ही अपना शिकार बना लेता है. इसलिए किसी पर इस तरह की क्रियाएं करवाने से पूर्व उस व्यक्ति की जन्म तिथि, ग्रहों एवं नक्षत्रों की पूरी जानकारी जरूर प्राप्त कर लेना चाहिए.
रामनवमी का शुभ योग
इस वर्ष चैत्रीय नवरात्रि के आठवें दिन अष्टमी व नवमी साथ में मनाई जाएंगी. अष्टमी के दिन प्रातः सुबह 8.19 बजे नवमी की तिथि लग जायेगी. जो अगले दिन प्रातः 6.04 बजे तक रहेगी. भगवान राम का जन्म पुष्य नक्षत्र में दोपहर 12 बजे हुआ था, इसलिए रामनवमी 14 अप्रैल को दोपहर 12 बजे से पहले मनाना शुभ रहेगा. यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2019: मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की आराधना का पर्व है नवरात्रि, जानिए उन औषधियों के बारे में जिनमें बसती हैं ये 9 शक्तियां
राम नवमी की पूजा विधि
सर्वप्रथम प्रातःकाल मां दुर्गा की पूजा का संकल्प लें. इसके बाद घट स्थापना करें, नवरात्रि के समय घट स्थापना सही मुहूर्त में ही करना लाभकारी होता है. इसके पश्चात मां का सोलह श्रृंगार किया जाता है. मां दुर्गा की पूजा में पांच मेवों का भोग लगाया जाता है. मां को भोग लगाने के बाद रही प्रसाद में चढ़े फल से व्रत तोड़ना चाहिए. पूजा शुरु करते समय मन में यह विश्वास रखना कि देवी मां की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.