
Putrada Ekadashi 2024 Wishes In Marathi: एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) को सभी व्रतों में उत्तम माना जाता है और हर महीने दो एकादशी तिथियां पड़ती हैं, जो भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को अत्यंत प्रिय है. साल की सभी एकादशी तिथियों में पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकदाशी (Pausha Putrada Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. इस बार पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 21 जनवरी 2024 को रखा जा रहा है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही उन्हें जीवन में सारे सुख मिलते हैं. इस व्रत को मुख्य रूप से संतान पाने की कामना से रखा जाता है. इतना ही नहीं इस एकादशी के व्रत की कथा पढ़ने या सुनने मात्र से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है. यह संतान प्राप्ति की कामना से किया जाने वाला एक श्रेष्ठ व्रत है. इस व्रत को करने से नि:संतान दंपत्तियों को स्वस्थ और दीर्घायु पुत्र की प्राप्ति होती है. पौष पुत्रदा एकादशी के इस अवसर पर आप इन भक्तिमय विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स और फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर प्रियजनों को मराठी में पुत्रदा एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा कह सकते हैं.
1- विठू माऊलीची कृपा
आपणा सर्वांवर कायम अशी राहो…
पुत्रदा एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा!

2- विठ्ठल माझा ध्यास,
विठ्ठल माझा श्वास,
विठ्ठल माझा भास,
विठ्ठल माझा आभास
पुत्रदा एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा!

3- जय श्री लक्ष्मी नारायण नमः
पुत्रदा एकादशीच्या शुभ मुहूर्तावर
भगवान विष्णू तुमच्या मुलांना
सुख, शांती, समृद्धी देवो.
पुत्रदा एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा!

4- ओम लक्ष्मी नारायण नमो नम:
तुम्हाला संतती आणि संपत्तीचे सुख मिळो.
पुत्रदा एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा!

5- पुत्रदा एकादशीचे व्रत श्रद्धेने पाळल्यास
भगवान श्री हरींची कृपा राहते व
सर्व मनोकामना लवकर पूर्ण होतात.
पुत्रदा एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा!

6- मुख दर्शन व्हावे आता,
तू सकळ जगाचा दाता,
घे कुशीत या माऊली,
तुझ्या चरणी ठेवतो माथा
पुत्रदा एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा!

पौष पुत्रदा एकादशी से जुड़ी कथा के अनुसार, एक समय भद्रावती नगर में सुकेतु नामक राजा अपनी पत्नी शैव्या के साथ रहते थे. शादी के कई सालों बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं हुई, जिसके चलते दोनों काफी दुखी रहते थे. एक दिन राजा और रानी मंत्री को राजपाठ सौंपकर वन चले गए, संतान न होने के दुख के कारण दोनों के मन में आत्महत्या का विचार आया, लेकिन तभी उन्हें बोध हुआ कि आत्महत्या से बढ़कर कोई पाप नहीं है.
उसी दौरान उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई दिए और स्वर सुनकर वो उसी दिशा की ओर चल पड़े. वेद पाठ कर रहे साधु-संतों के पास पहुंचकर उन्होंने अपनी सारी व्यथा बताई, जिसके बाद साधुओं ने उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया. इसके बाद राजा और रानी ने पूरी निष्ठा व नियम के साथ इस व्रत का पालन किया. इस व्रत के प्रभाव से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई, इसलिए नि:संतान दंपत्तियों के लिए इस व्रत को श्रेष्ठ माना जाता है.