Pradosh Vrat 2023: सोम-प्रदोष व्रत-पूजा करने से मिटते हैं पाप और शारीरिक कष्ट! जानें पूजा-विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं पौराणिक कथा!
प्रदोष व्रत (Photo: File Image)

Pradosh Vrat 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का विधान है. त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होने के कारण इस दिन शिवजी की पूजा-अर्चना होती है. जिस माह त्रयोदशी सोमवार को पड़ती है, उसे सोम प्रदोष कहते हैं. चूंकि सोमवार का दिन भी भगवान शिव को समर्पित होता है, इसलिए सोम प्रदोष का धर्म शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन शिव भक्त अपने पूर्व जन्म के पापों एवं कष्टों एवं पापों से मुक्ति पाने के लिए शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा-अनुष्ठान करते हैं. इस माह सोम प्रदोष का व्रत 03 अप्रैल 2023 को रखा जायेगा. आइये जाने क्या है सोम प्रदोष का महात्म्य, पूजा विधि, मंत्र, एवं सोम प्रदोष की पौराणिक कथा. यह भी पढ़ें: Mahavir Jayanti 2023 Wishes: महावीर जयंती की इन हिंदी WhatsApp Messages, Facebook Greetings, Quotes, GIF Images के जरिए दें शुभकामनाएं

सोम प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि!

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. सूर्य देव को अर्घ्य देकर भगवान शिव का ध्यान करें, और व्रत एवं पूजा का संकल्प लेते हुए, अपनी मनोकामना व्यक्त करें. घर के मंदिर में स्थित भगवान शिव एवं माता पार्वती की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़क कर प्रतिकात्मक स्वरूप में उन्हें स्नान कराएं. धूप दीप प्रज्वलित करें. इस मंत्र का जाप करते हुए पूजा प्रारंभ करें.

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिवलिंग पर भगवान शिव को दूध, भांग, धतूरा, फूल, बेलपत्र, फल और मिठाई आदि अर्पित करें. अब शिवजी के साथ माता पार्वती की संयुक्त पूजा करें. शिव चालीसा का पाठ करने के बाद प्रदोष व्रत की पवित्र कथा पढ़ें. अंत में शिव की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं.

प्रदोष व्रत की तिथि एवं शुभ मुहूर्त

चैत्र प्रदोष प्रारंभ: 06.24 AM (03 अप्रैल, 2023) से

चैत्र प्रदोष समाप्त: 08.05 AM (04 अप्रैल, 2023 मंगलवार) तक

विभिन्न पंचांगों के अनुसार, सोम प्रदोष का व्रत 3 अप्रैल, 2023, दिन सोमवार को रखा जाएगा, क्योंकि प्रदोष की पूजा संध्या काल में होती है.

प्रदोष पूजा मुहूर्त: शाम 06.49 PM से 09.08 PM तक

(सोम प्रदोष पूजा मुहूर्त लगभग 02 घंटे 20 मिनट तक रहेगा.)

सोम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा

प्राचीनकाल में एक विधवा ब्राह्मणी भिक्षा मांगकर अपने बच्चे के साथ गुजारा करती थी. एक दिन लौटते समय उसे एक घायल लड़का दिखा. ब्राह्मणी उसे अपने घर ले आई. वह विदर्भ का राजकुमार था. शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बनाया और राज्य पर कब्जा कर लिया था. एक दिन राजकुमार को गंधर्वराज की पुत्री अंशुमति दिखी, दोनों एक दूसरे को देखते ही मोहित हो गये. एक दिन अंशुमति के माता-पिता को भगवान शिव ने स्वप्न में आदेश दिया कि वह राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दे. ब्राह्मणी नियमित प्रदोष व्रत रखती थी. भगवान शिव के आशीर्वाद से गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ कर सत्ता हासिल किया. राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया. अत: सोम प्रदोष का व्रत रखने वाले भक्तों को यह कथा अवश्य पढ़नी या सुननी चाहिए