Sarvapitri Amavasya 2022: दिवंगतों परिजनों को समर्पित पितृ पक्ष 2022 (Pitru Paksha ) चल रहा है. इन दिनों परिवार के अधिकांश मुखिया अपने पितरों का श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि करके उन्हें प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. गरुण पुराण में उल्लेखित है कि ऐसा नहीं करने से पितर (Pitru) तृप्त हुए बिना पितृलोक वापस चले जाते हैं, जिसकी वजह से जातक ताउम्र पितृ दोष (Pitru Dosha) के दंश को झेलता है. जिसकी वजह से उसे आर्थिक, सामाजिक एवं शारीरिक संकट उठाने पड़ते हैं, लेकिन मान्यताओं के अनुसार जिस घर में मांगलिक कार्य हुए होते हैं, वहां एक साल तक श्राद्ध अथवा तर्पण आदि नहीं करनी चाहिए. कभी-कभी किसी अन्य वजहों से भी कुछ लोग पितृपक्ष में श्राद्ध आदि नहीं कर पाते.
धर्म शास्त्र में उनके लिए कुछ विकल्प हैं, जिन्हें सर्वपितृ अमावस्या (Sarvapitri Amavasya) पर करने से उन्हें पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वे तृप्त होकर वापस लौटते हैं, मान्यता है कि ऐसा नहीं करने से वे नाराज हो सकते हैं.
मांगलिक कार्य के बाद क्यों नहीं मनाया जाता पितृ पक्ष?
प्रश्न उठता है कि मांगलिक कार्यों के पश्चात आशीर्वाद के लिए पितृ पक्ष में पितरों को आवश्यक रूप से आमंत्रित करना चाहिए. इस संदर्भ में ज्योतिष शास्त्र का तर्क है कि वास्तव में जिस घर में विवाह जैसे मांगलिक कार्य होते हैं तो उस दौरान विधि-विधान से पितरों की भी पूजा कर उन्हें आमंत्रित किया जाता है. हमारे पितरों की आत्माएं इस अवसर पर उपस्थित होती हैं, हमारी सेवा से वे तृप्त होते हैं और वर-वधु को आशीर्वाद देते हैं, इसलिए इसी वर्ष दोबारा पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने की आवश्यकता नहीं है.
सर्वपितृ अमावस्या पर ये कार्य करें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन घरों में विवाह, उपनयन, जनेऊ आदि मांगलिक कार्य हुए हैं, वहां एक साल तक पितरों का तर्पण, पिण्डदान अथवा श्राद्ध प्रक्रिया नहीं करने का विधान है, लेकिन चूंकि पितर कुछ उम्मीदें लेकर पृथ्वी पर आते हैं, इसलिए पितृ पक्ष में उन्हें तृप्त करने के कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए. यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2022: कब शुरू हो रहा है पितृपक्ष? जानें पितृपक्ष का महत्व!, कैसे और कब करें तर्पण? देखें श्राद्ध की 16 तिथियां!
* आप पिण्डदान ना करें, सिर के बाल भी ना कटवाएं और ना ही प्रतिदिन तर्पण करें, लेकिन सर्वपितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं, इस दिन आपके घर में जो भी भोजन बना है, उसका सेवन करने से पहले उसके तीन भाग करके कौवा, कुत्ता और गाय को अवश्य खिलाना चाहिए. इसके बाद आपको सपरिवार भोजन करना चाहिए.
* इसके अलावा सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को भोजन करा सकते हैं. जूते, चप्पल, कपड़े, अनाज, पैसे आदि दान करें. गौशालाओं में जाकर गायों की सेवा करें, उन्हें हरी घास खिलाएं. गौशाला चलाने वालों को गायों की सेवा के नाम पर अपनी सामर्थ्य अनुसार एक रकम दान कर दें.
* सर्वपितृ अमावस्या के दिन किसी वृद्धाश्रम में जाकर वृद्धों को खाना खिला सकते हैं, उन्हें वस्त्र, चश्मे, जूते, चप्पल, छाता एवं दवाइयां दान कर दें. इतना कुछ नहीं कर सकते तो वृद्धाश्रम को धन दान कर दें.
* सर्वपितृ अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर पितरों का ध्यान कर गरुड़ पुराण एवं श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ अवश्य करें. ऐसा करके मन को शांति मिलती है और मन में सकारात्मकता आती है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.