Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति पर दान का महात्म्य, क्यों करते हैं दान-धर्म? जानें कब और क्या करें  दान और क्या हैं इसके अभीष्ठ लाभ!
मकर संक्रांति 2020 (Photo Credits: File Photo)

Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति (Makar Sankranti) सनातन धर्म के प्रमुख पर्वों में एक है. मकर संक्राति का पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है, लेकिन हर जगह पर्व मनाने की परंपराएं अलग-अलग होती हैं. अगर किसी बात ममें समानता है तो वह है दान-धर्म की. मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन दान-धर्म करने से व्यक्ति को उसका कई गुना अभीष्ट लाभ प्राप्त होता है. आइए जानें मकर संक्रांति के दिन दान-धर्म कब और क्यों करना चाहिए, और क्या होते हैं इसके अभीष्ठ लाभ.

दान का महात्म्य

सनातनी विद्वानों का मानना है कि वेद, पुराण, गीता और स्मृतियों में उल्लेखित चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के परिप्रेक्ष्य में प्रत्येक सनातन धर्म का पालन करने वालों को अपने कर्तव्यों के प्रति जाग्रत रहना चाहिए, क्योंकि कर्तव्यों के पालन से तन, मन और घर में शांति मिलती है, इससे मोक्ष के मार्ग प्रशस्त होते हैं.

अपने कर्तव्यों का निर्वहन करके आप तमाम मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक लाभ अर्जित कर सकते हैं. अगर कोई व्यक्ति लाभ अर्जित करने के लिए इन कर्तव्यों का पालन करता है, वह भी अच्छाईयों के मार्ग से भटकता नहीं है. अगर किसी के जीवन में दुख: है तो दुख से मुक्ति का उपाय भी कर्तव्य ही है. व्यक्ति का मुख्य कर्तव्य संध्योपासन, व्रत, तीर्थ, उत्सव, सेवा, दान, यज्ञ और संस्कार. इसमें हमें दान जैसे कर्तव्य को प्रमुखता देना चाहिए.

क्या है दान-धर्म

दान-धर्म करने से इंद्रियों के प्रति मोह माया खत्म होती है. मन की ग्रथियां सक्रिय होती हैं. इस वजह से मृत्युकाल में पूर्ण शांति का अहसास होता है. जीवन को सुखमय बनाने के लिए सबसे सहज उपाय है दान-धर्म . वेद और पुराणों में भी दान की अप्रतिम महिमा का वर्णन किया गया है.

दान करने से मिलती है रोग-शोक से मुक्ति

हिंदू पुराणों में दान-धर्म के बारे में काफी कुछ लिखा है, लेकिन इसका यह आशय नहीं कि दान केवल आध्यात्म तक ही सीमित है. आप जब भी किसी को कुछ दान करते हैं तो इससे विचारों में सकारात्मकता और मन में खुलापन आता है. मोह कमजोर पड़ता है, जो शरीर छुटने या मुक्त होने में जरूरी भूमिका निभाती है. किसी भी तरह के रुझान और भाव को छोड़ने की शुरुआत दान और क्षमा से होती है. दान करने वाले व्यक्ति से किसी प्रकार का रोग या शोक नहीं जुड़ता.

शुभ मुहूर्त में ही करें दान-धर्म

पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित है कि मकर संक्रांति के मूल समय से अगले छह घंटे तक जरूरतमंद अथवा गरीबों को दान-पुण्य के लिए सर्वाधिक शुभ समय माना जाता है. इस घड़ी में किया गया दान बहुत लाभकारी होता है. अर्थात मकर संक्रांति की मूल बेला 14 जनवरी की शाम 7 बजकर 50 मिनट तक किया गया दान अभिष्ठ फलदायी होता है. चूंकि मूल मकर संक्रांति 15 जनवरी को है. इसलिए इस तिथि में पूरे दिन दान-पुण्य का योग है.

मकर संक्रांति पर किन वस्तुओं का करें दान

मकर संक्रांति के दिन स्नान-ध्यान के पश्चात गरीबों एवं जरूरतमंदों को दान करना बेहद पुण्यदायी माना जाता है. विशेषकर इस दिन खिचड़ी का दान करना ज्यादा फलदायी बताया जाता है. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ के व्यंजन, भोजन, वस्त्र, कंबल और छाते का भी दान करना श्रेयस्कर होता है. इसके अलावा किसी गरीब कन्या के विवाह में किया गया दान भी सर्वोत्तम दानों में एक माना जाता है.