Maharana Pratap Jayanti 2024 Wishes in Hindi: मेवाड़ (Mewad) के वीर और शूरवीर योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती (Maharana Pratap Jayanti) अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल 9 मई को मनाई जाती है, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गुरु पुष्य नक्षत्र में हुआ था. इसी तिथि पर मेवाड़ के कुंभलगढ़ में राजपूत राज परिवार में महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम उदय सिंह द्वितीय और माता का नाम जयवंता बाई था. बचपन में उन्हें कीका के नाम से भी पुकारा जाता था. बताया जाता है कि अपने बालपन में महाराणा प्रताप ने भीलों के बीच अधिक समय बिताया था, उस दौरान भील अपने पुत्र को कीका कहकर पुकारते थे, इसलिए महाराणा प्रताप को भी कीका कहकर संबोधित किया जाता था. बचपन से ही महाराणा प्रताप घुड़सवारी और तलवारबाजी में कुशल थे.
महाराणा प्रताप ऐसे वीर योद्धा थे, जिन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की. इतना ही नहीं उन्होंने मुगल बादशाह अकबर को घुटने टेकने पर भी मजबूर कर दिया था. कहते हैं कि महाराणा प्रताप दो तलवारों, 72 किलो के कवच और 80 किलो के भाले को लेकर युद्ध भूमि में उतरते थे. मेवाड़ के राजा और भारत के इस वीरयोद्धा की जयंती बहुत धूमधाम से मनाया जाती है. ऐसे में आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, फोटो एसएमएस को भेजकर अपनों को महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- भारत मां का ये वीर सपूत,
हर हिंदुस्तानी को प्यारा है,
कुंवर प्रताप जी के चरणों में,
शत-शत नमन हामारा है.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
2- फीका पड़ता था तेज सूरज का,
जब माथा ऊंचा तू करता था,
फीकी हुई बिजली की चमक,
जब-जब आंख खोली प्रताप ने.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
3- धन्य हुआ रे राजस्थान,
जो जन्म लिया यहां प्रताप ने,
धन्य हुआ रे सारा मेवाड़,
जहां कदम रखे थे प्रताप ने.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
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4- हर मां की ये ख्वाहिश है,
कि एक प्रताप वो भी पैदा करे,
देख के उसकी शक्ति को,
हर दुशमन उससे डरा करे.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
5- जंग खाई तलवार से युद्ध नहीं लड़े जाते,
लंगड़े घोड़े पर दांव लगाए नहीं जाते,
यूं तो लाखों वीर हुए होंगे लेकिन,
सब महाराणा प्रताप नहीं होते.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
महाराणा प्रताप अक्सर अपने विशेष म्यान में दो तलवार एक साथ रखते थे. कहा जाता है कि एक तलवार वो स्वयं के लिए और दूसरी दुश्मन के लिए रखते थे. दरअसल, उनकी मां जयवंता बाई ने नसीहत दी थी कि कभी भी निहत्थे शत्रु पर वार नहीं करना चाहिए. उसके पास हथियार न हो तो पहले उसे अपनी अतिरिक्त तलवार दो और फिर युद्ध के लिए ललकारो.
महाराणा प्रताप ने युद्ध के मैदान में भी कभी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया. बताया जाता है कि हल्दीघाटी की लड़ाई से पहली शाम गुप्तचरों से महाराणा प्रताप को सूचना मिली थी कि मानसिंह कुछ साथियों के साथ शिकार पर है और वो निहत्था है. यह सूचना पाने के बाद महाराणा प्रताप ने कहा था कि निहत्थे पर वार करना कायरों का काम है और हम योद्धा हैं. कल हल्दीघाटी में मानसिंह का सिर कलम करेंगे.