Maharana Pratap Jayanti 2024 Quotes: मेवाड़ के महान राजपूत शासक महाराणा प्रताप की जयंती (Maharana Pratap Jayanti) हर साल 9 मई को मनाई जाती है, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार उनकी जयंती ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. कहा जाता है कि 9 मई 1540 को मेवाड़ (Mewad) के कुंभलगढ़ में राजपूत राज परिवार के उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के घर हुआ था. महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) और मुगल बादशाह अकबर के बीच हुई हल्दी घाटी की लड़ाई देश के इतिहास में दर्ज है. दरअसल, महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता में मेवाड़ का शासन स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, जिसकी वजह से 18 जून 1576 ई को हल्दी घाटी का युद्ध छिड़ गया. कहा जाता है कि विशाल सेना होने के बावजूद इस युद्ध को न तो अकबर जीत सका था और न ही महाराणा प्रताप इस युद्ध को हारे थे. कहा जाता है कि भले ही महाराणा प्रताप की सेना छोटी थी, लेकिन उनकी सेना में वीरों की कोई कमी नहीं थी.
महाराणा प्रताप एक ऐसे महान योद्धा और युद्ध रणनीति में कुशल राजा थे, जिन्होंने बार-बार मुगलों के हमले से मेवाड़ और मेवाड़ के जनता की रक्षा की. उनके सामने न जाने कितनी ही विकट परिस्थियां आईं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपना सिर दुश्मन के सामने नहीं झुकाया. महाराणा प्रताप के महान विचार आज भी बेहद प्रासंगिक हैं और लोगों के लिए प्रेरणादायी माने जाते हैं. ऐसे में महाराणा प्रताप की जयंती पर आप उनके इन 10 महान विचारों को अपनों संग शेयर कर सकते हैं.
2- अपने कतर्व्य और सृष्टि के कल्याण के लिए प्रयत्नरत मनुष्य को युगों-युगों तक स्मरण किया जाता है.
3- समय बहुत बलवान होता है, जो राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है.
4- जो लोग अत्यंत विकट परिस्थिति में न झुकते हैं और न हार मानते हैं, वो लोग हारकर भी जीत जाते हैं.
5- अपनी कीमती जिंदगी को सुख और आराम में बिताने के बजाय उसे मानवता व राष्ट्र की सेवा में लगाना चाहिए.
6- हार आपसे आपका धन छीन सकती है, लेकिन आपका गौरव नहीं.
7- एक शासक का पहला कर्तव्य अपने राज्य का गौरव और मान-सम्मान बचाने का होता है.
8- अगर सर्प से प्रेम रखोगे तो वो अपने अनुसार आपको डसेगा ही डसेगा.
9- हल्दीघाटी के युद्ध ने मेरा सर्वस्व छीन लिया हो, पर मेरे गौरव व शान को और बढा दिया.
10- ये संसार कर्मवीरो की ही सुनता है. अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो.
महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा से वैसे तो हर कोई वाकिफ है, लेकिन उनके निजी जीवन के बारे में हर कोई नहीं जानता है. कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने राजनीतिक कारणों से कुल 11 शादियां की थीं. इन शादियों से उनके 17 बेटे और 5 बेटियां थीं. महाराणा प्रताप के बाद महारानी अजाब्दे के बेटे अमर सिंह ने राजगद्दी संभाली थी. महाराणा प्रताप जब भी युद्ध के लिए जाते थे, तब वो अपने साथ 208 किलो की दो तलवार, 72 किलोग्राम का कवच और 80 किलो का भाला लेकर जाते थे. उन्होंने मुगलों से अपने राज्य की रक्षा के लिए जीवनभर लोहा लिया.