Maghi Ganesh Jayanti 2020: सबसे पहले इस रूप में हुआ था गणपति का प्राकट्य, सिद्धिविनायक मंदिर में माघी गणेश जयंती पर होता है विशेष महोत्सव

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्रीगणेश का जन्म माघ मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को हुआ था. इस गणेश चतुर्थी का महत्व कुछ ऐसा है कि साल में एक भी गणेश चतुर्थी की पूजा और व्रत नहीं रखने के बावजूद अगर माघ मास की गणेश चतुर्थी को विधिवत तरीके से पूजा-व्रत कर लिया जाये तो साल भर की चतुर्थी का पुण्य प्राप्त हो सकता है.

भगवान गणेश (Photo Credits: Instagram)

Maghi Ganesh Jayanti 2020: देवाधि देव महादेव (Mahadev) और माता पार्वती (Mata Parvati) के पुत्र विघ्नहर्ता श्रीगणेश (Shri Ganesha) की अपरंपार महिमा का अहसास इसी बात से हो जाता है कि किसी भी देव-देवी की पूजा अथवा किसी भी प्रकार का अनुष्ठान करने से पूर्व श्रीगणेश (Lord Ganesha) जी की पूजा करना परम आवश्यक माना गया है, वरना मान्यता है कि कार्य सम्पन्न होने की संभावना कम रहती है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्रीगणेश का जन्म माघ मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को हुआ था. इस गणेश चतुर्थी का महत्व कुछ ऐसा है कि साल में एक भी गणेश चतुर्थी की पूजा और व्रत नहीं रखने के बावजूद अगर माघ मास की गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) को विधिवत तरीके से पूजा-व्रत कर लिया जाये तो साल भर की चतुर्थी का पुण्य प्राप्त हो सकता है.

माघी गणेश जयंती शुभ मुहूर्त

चतुर्थी की शुरुआत 28 जनवरी 2020 को प्रातः 8 बजकर 20 मिनट पर होगी.

चतुर्थी का समापन 29 जनवरी 2020 को सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर होगा.

माघ गणेश चतुर्थी का महात्म्य

पौराणिक कथाओं के अनुसार माघ शुक्लपक्ष के दिन श्रीगणेश जी का अवतरण सर्वप्रथम तरंगों के माध्यम से हुआ था. इसलिए इस दिन श्रीगणेश जी की जयंती मनायी जाती है. कुछ स्थानों पर इस दिन को तिलकुंड चतुर्थी अथवा विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण भारत में मान्यतानुसार श्रीगणेश जी का जन्म मूल रूप से इसी तिथि पर हुआ था. इस दिन श्रीगणेश जी की पूजा एवं व्रत करना बहुत फलदायक होता है. यहां तक कि अग्निपुराण में भी भाग्योदय एवं मोक्ष की प्राप्ति के लिए तिलकुंड चतुर्थी के विधान का उल्लेख है. यह भी पढ़ें: Maghi Ganesh Jayanti 2020: कब है माघी गणेश जयंती जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

सिद्धिविनायक मुंबई में विशेष महोत्सव

यूं तो मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में हर दिन श्रीगणेश जी का दर्शन लाभ लेने के लिए तांता लगा रहता है, लेकिन माघी गणेश जयंती को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है जो 25 जनवरी से 1 फरवरी तक चलता है. तमाम ग्रंथों के साथ-साथ गरुड़ पुराण में भी उल्लेख है कि इस तिथि पर श्रीगणेश जी का व्रत-तप और जप करने से उनकी विशेष कृपा तो प्राप्त होती ही है साथ ही मोक्ष भी मिलता है.

पूजा एवं व्रत का विधान

माघ गणेश चतुर्थी के दिन प्रातःकाल उठकर श्रीगणेश जी की प्रतिमा का शुद्ध जल से अभिषेक करें एक साफ-सुथरी चौकी पर लाल आसन बिछा कर प्रतिमा को स्थापित करें. प्रतिमा पर श्रीगणेश-मंत्र का जाप करते हुए 108 दूर्वा अर्पित करें. पीली हल्दी की पांच गाठें चढ़ाएं. श्रीगणेश जी को मोदक बहुत पसंद है. कम से कम 5 मोदक के साथ गुड़, फल का भोग लगाएं. पूजा के पश्चात इसे प्रसाद के रूप में लोगों को वितरित करें. पूरे दिन व्रत रखकर शाम को गणपति अथर्वशीष का पाठ करें और गणपति को तिल के लड्डुओं का भोग लगाएं. मान्यता है कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन माघी गणेश जयंती (Maghi Ganesh Jayanti) पर व्रत करने से भगवान गणेश अपने भक्तों के सारे संकटों से मुक्ति दिलाते हैं और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यह भी पढ़ें: Maghi Ganesh Jayanti 2020 Recipes: माघी गणेश जयंती पर बाप्पा को अर्पित करें स्वादिष्ट भोग, देखें मोदक से पूरन पोली बनाने तक की आसान रेसिपी

श्रीगणेश के आठ अवतार

वेद-पुराणों के अनुसार मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत सारे देवी-देवताओं ने बार-बार पृथ्वी पर अवतार लिये. इसी तरह श्रीगणेश जी ने भी भक्तों की रक्षार्थ दुष्ट राक्षसों का दमन करने के लिए 8 बार अवतार लिये. उनके इन अवतारों का विस्तृत वर्णन गणेश पुराण, मुद्गल पुराण, गणेश अंक आदि में उल्लेखित है. उन्होंने जो आठ अवतार लिये उनके नाम हैं क्रमशः वक्रतुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लंबोदर, विकट, विघ्नराज, और धूम्रवर्ण.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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