Lal Bahadur Shastri Jayanti 2020 Wishes in Hindi: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का जन्म एक ही दिन हुआ था, इसलिए 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के साथ-साथ लाल बहादुर शास्त्री जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) भी मनाई जाती है. अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित करने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुगलसराय में हुआ था. उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद और माता का नाम रामदुलारी था. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी का देश के स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम योगदान रहा है. साल 1920 में वे आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए और असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. गांधी जी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए उन्हें सात साल के लिए ब्रिटिश जेलों में भी रहना पड़ा था. उन्होंने ही जय जवान, जय किसान का नारा बुलंद किया था.
महात्मा गांधी की तरह ही लाल बहादुर शास्त्री का भी देश की आजादी लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. शास्त्री जयंती पर लोग उन्हें याद करते हैं और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. आप भी लाल बहादुर शास्त्री जयंती के खास अवसर पर दोस्तों-रिश्तेदारों को इन हिंदी कोट्स, विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, इमेजेस, फेसबुक मैसेजेस, एसएमएस और वॉलेपेपर्स के जरिए हैप्पी शास्त्री जयंती कह सकते हैं.
1- जिनके ही दृढ़ अनुशासन से,
वह पाक हिंद से हारा था,
जय जवान जय किसान,
यह इनका ही तो नारा था.
हैप्पी शास्त्री जयंती
2- जो हैं भारत माता के सच्चे लाल,
भारत रत्न जिनका अभिमान,
आज मनाओ उनकी जयंती,
दिलाया जिन्होंने हमें सम्मान.
हैप्पी शास्त्री जयंती
3- देश प्रेम के प्रबल बेग से,
राजनीति में प्रवेश लिया,
भारत की एकता और अखंडता के लिए,
जय जवान, जय किसान का,
अटल संदेश दिया...
हैप्पी शास्त्री जयंती
4- भारत मां के लाल, जिसकी बहादुरी पर सबको नाज है,
ऐसे ही लाल बहादुर शास्त्री जी की जरूरत भारत को आज है.
हैप्पी शास्त्री जयंती
5- 2 अक्टूबर शास्त्री जी का जन्मदिन, सबके लिए एक पर्व है,
ऐसे वीर सपूत पर तो भारत माता को भी गर्व है.
हैप्पी शास्त्री जयंती
बताया जाता है कि शास्त्री जी जब डेढ़ साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था. पिता के निधन के बाद उन्हें चाचा के पास भेज दिया गया, ताकि वे उच्च शिक्षा हासिल कर सकें. वे कई मील तक नंगे पांव चलकर स्कूल जाते थे. जब वे 11 साल के थे, तभी से राष्ट्रीय स्तर पर कुछ करने की ठान ली. 16 साल की उम्र में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए. वे काशी विद्यापीठ में शामिल हुए और विद्यापीठ की तरफ से उन्हें प्रदत्त स्नातक की डिग्री शास्त्री प्रदान की गई, जिसके चलते उनके नाम के आगे शास्त्री जुड़ गया और उनका पूरा नाम लाल बहादुर शास्त्री हो गया, गौरतलब है कि पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में उनका निधन हो गया.