सनातन धर्म में भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार माने जाने वाले श्रीकृष्ण को सबसे उदार भगवान माना जाता है. कहते हैं कि भक्तों की एक सच्ची पुकार सुनते ही कान्हा भागे चले आते हैं. इसीलिए भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन की सनातन धर्म के लोग शिद्दत से प्रतीक्षा करते हैं. यह एकमात्र पर्व है, जब उपवासी भी तरह-तरह के पकवानों का स्वाद लेते हैं. वास्तव में इसे खाने-पीने वाला व्रत भी कहा जाता है. इस वर्ष जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी. मान्यता है कि कृष्ण जन्मोत्सव पर नियमपूर्वक व्रत रखते हुए श्री कृष्ण भगवान की विधि-विधान से पूजा पूजा-अर्चना करने से जातक के सारे भय खत्म हो जाते हैं और उसकी हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लेकिन कृष्ण जन्मोत्सव का व्रत रखने वालों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा. आइये जानें व्रतियों को इस दिन क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए.
यह कार्य करें
* अगर आप सनातनी हैं तो आप व्रत रहें या ना रहें, आपको प्रातःकाल स्नान-दान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर श्रीकृष्ण की पूजा अवश्य करनी चाहिए.
* सुबह पूजा के पश्चात व्रतियों द्वारा किसी गरीब व्यक्ति अथवा वृद्ध व्यक्ति को भोजन दान करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं.
* इस दिन कुछ उपवासी फलाहार लेते हैं और कुछ निर्जला व्रत रखते हैं. निर्जला व्रत रखने वाले रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की पूजा के बाद पारण कर सकते हैं.
* जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की पूजा करते समय उनकी प्रिय वस्तुएं मोर पंख, गाय के दूध से बनी खीर, पंचामृत, बांसुरी, पीतांबरी एवं मक्खन अवश्य चढ़ाएं.
* भगवान कृष्ण के पैदा होने पर शंख अवश्य बजाएं. इसके बाद बाल कृष्ण को शंख में पहले पंचामृत से फिर गंगाजल भर कर स्नान कराना चाहिए.
* कृष्ण भगवान के हर भोग में तुलसी के दो-दो पत्ते अवश्य रखें.
* भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेने के बाद उन्हें एक अलंकृत झूले में बिठाकर झुलाते हुए जो भी मनोकामनाएं मन में हैं उसकी प्रार्थना करें.
* भगवान श्रीकृष्ण को गाय बहुत प्यारे लगते हैं. इसलिए इस दिन गाय की सेवा करने के साथ-साथ उसे हरा घास जरूर खिलाना चाहिए.
इन कार्यों से बचें
* व्रत रखने वालों को इस दिन किसी भी पशु अथवा पक्षियों को परेशान नहीं करना चाहिए.
* श्रीकृष्ण जी की पूजा करते समय बासी फूल कत्तई नहीं चढ़ाएं. बेहतर होगा उन्हें कमल का फूल चढ़ाएं.
* अगर आप कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत नहीं हैं, तब भी आपको लहसुन, प्याज, या तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. शराब, धूम्रपान या मांसाहार तो हरगिज नहीं करनी चाहिए.
* जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने वाले को संभोग आदि नहीं करते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
* इस दिन किसी गरीब अथवा वृद्ध व्यक्ति (घर या बाहर का) का अपमान नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि इन्हें सम्मान के साथ भोजन कराने से व्रत का पूरा पुण्य-फल प्राप्त होता है.
* शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन चावल या जौ से बना भोजन नहीं करना चाहिए. शास्त्रों में चावल को भगवान शिव का रूप माना गया है.