Happy Kiss Day 2020: वेलेंटाइन-वीक का सबसे रोमांचक है किस डे! जानें कब शुरू हुई चुंबन की प्रक्रिया और क्या हैं वैज्ञानिक मत!
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

Happy Kiss Day 2020: वेलेंटाइन वीक में ‘किस डे’ का एक अलग और विशेष रोमांच होता है. चूंकि यह दिवस विशेष वेलेंटाइन डे के ठीक एक दिन पूर्व पड़ता है, इसलिए भी इसका महत्व ज्यादा रहता है. हांलाकि भारतीय समाज में अभी भी ‘किस’ अथवा ‘चुंबन’ जैसी बातें सार्वजनिक स्थलों पर स्वीकार्य नहीं है, लेकिन वेलेंटाइन वीक मनाने वाले हर किसी को इस दिवस विशेष का बेसब्री से इंतजार रहता है. आखिर क्या मायने हैं ‘किस डे’, के और क्यों मनाते हैं, तथा चुंबन को लेकर वैज्ञानिक सर्वे क्या कहता है आइए जानते हैं.

वेलेंटाइन वीक का चरमोत्कर्ष है ‘किस डे’

वेलेंटाइन वीक का सफर चरम पर है. ‘रोज़ डे’ से शुरु होने वाले इस साप्ताहिक पर्व का समापन सेलीब्रेशन 13 फरवरी को ‘किस डे’ यानी ‘चुंबन दिवस’ के रूप में किया जाता है. इसके बाद 14 फरवरी को सारी दुनिया वेलेंटाइन डे की खुशियों में खो जाती है. वेलेंटाइन डे के अन्य दिनों की तरह ‘किस डे’ भी प्यार ज़ाहिर करने के लिए खास दिन माना जाता है. इस दिन को लेकर युवाओं में विशेष उत्साह देखा जा सकता है. इन दिन का महत्व भी इसके नाम से ही जाहिर है. अधरों का एक प्यार भरा स्पर्श, अपने आप में काफी है दो प्यार करने वालों के जज्बातों को समझने के लिए.

‘किस’ यानी ‘चुंबन’ पर वैज्ञानिक मत

चुंबन को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं. लेकिन हम यहां इसके वैज्ञानिक पहलुओं को उजागर करने की कोशिश करेंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि स्वाद, गंध और फ़िटनेस के ज़रिए चुंबन से लोगों को अपने संभावित साथी को आंकने में मदद मिलती है. ऑक्सफ़ोर्ड युनिवर्सिटी ने तकरीबन 900 लोगों पर ऑनलाइन सर्वे करने के बाद जो निष्कर्ष निकाला है, उसके अनुसार वो लोग जो ज़्यादा आकर्षक होते हैं या जिनके ज़्यादा साथी युवा होते हैं, वे अपना साथी चुनने में बहुत सावधानी बरतते हैं और चुंबन को विशेष अहमियत देते हैं. इसी युनिवर्सिटी में चुंबन पर हुए एक शोध के बाद पता चला है कि किसी रिश्ते को बनाने के बाद चुंबन से अपने साथी की चाहत को बनाए रखने में मदद मिलती है. शोधकर्ताओं के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाएं लंबे समय तक चलने वाले रिश्तों में चुंबन को सबसे ज्यादा अहमियत देती हैं.

कैसे शुरू हुआ किस?

‘किस’ की शुरुआत कब हुई होगी? इस संदर्भ में लोगों की अलग-अलग विचारधाराएं हैं. एक पक्ष इसे कुदरती यानी नैसर्गिग प्रक्रिया मानता है, और प्रकृति निर्माण के साथ ही यह प्रक्रिया शुरू हो गयी. उन्होंने पशु-पक्षियों के साथ फूलों को भी इससे जोड़ा. जबकि कुछ लोग ‘किस’ की शुरुआत फीडिंग से मानते हैं. उनके अनुसार ‘किस’ उस प्रक्रिया का एक पार्ट है, जब एक मां अपने शिशु को अपने मुंह से भोजन कराती थी. इस प्रक्रिया में मां पहले भोजन के कुछ निवाले अपने मुंह में लेकर उसे अच्छे से चबाती है और फिर इस भोजन को आहिस्ता-आहिस्ता बच्चे के मुख में डालती जाती है. इसे ‘किस’ प्रक्रिया नाम दिया गया. यह बहुत पुरानी बात है, जब बच्चे अपने भोजन को दांत से चबाने में सक्षम नहीं होते थे. बाद में धीरे-धीरे यह परंपरा बंद हो गई.