Kartik Purnima 2020: आज (30 नवंबर 2020) कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) का पर्व पूरे देश में मनाया जाता है. दरअसल, कार्तिक महीने (Kartik Month) को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना के लिए बेहद खास माना जाता है. कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सच्चे मन से भगवान शिव और भगवान विष्णु की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन गंगा स्नान (Ganga Snan), जप और दान का विशेष महत्व बताया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर देश के कोने-कोने से भक्त गंगा में आस्था की डुबकी (Holy Dip in Ganga River) लगाने के लिए गंगा घाटों पर पहुंचते हैं. मान्यता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है.
कार्तिक पूर्णिमा के इस खास अवसर पर प्रयागराज और वाराणसी के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है. गंगा घाटों पर तमाम श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. प्रयागराज स्थित संगम घाट पर श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए पहुंचे. श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के साथ गंगा घाट पर पूजा-अर्चना की. यह भी पढ़ें: Kartik Purnima 2020 Hindi Wishes: शुभ कार्तिक पूर्णिमा! इन प्यारे GIF Images, Quotes, WhatsApp Messages, Facebook Greetings के जरिए दें अपनों को बधाई
संगम में श्रद्धालुओं ने किया स्नान
Prayagraj: Devotees gather at Triveni Sangam to offer prayers and take holy dip in river Ganga on 'Kartik Purnima' today. pic.twitter.com/nt30NtpxfA
— ANI UP (@ANINewsUP) November 30, 2020
वहीं भगवान शिव की पवित्र काशी नगरी यानी वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए भक्त गंगा घाटों पर पहुंचे. इस अवसर पर राज घाट पर भक्तों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगई और पूजा-अर्चना की. यह भी पढ़ें: Kartik Purnima 2020 Greetings: हैप्पी कार्तिक पूर्णिमा! प्रियजनों को भेजें ये मनमोहक हिंदी WhatsApp Stickers, GIF Images, Photo Wishes और वॉलपेपर्स
वाराणसी में लोगों ने किया स्नान
Varanasi: Devotees take a holy dip in Ganga river at Raj Ghat on the occasion of #KartikPurnima. pic.twitter.com/xBlb767plI
— ANI UP (@ANINewsUP) November 30, 2020
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरारी अवतार लेकर त्रिपुरासुर का वध किया था और देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. त्रिपुरासुर के आतंक का अंत होने की खुशी में देवताओं ने दीये प्रज्जवलित करके देव दीपावली का उत्सव मनाया था. कहा जाता है कि हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता धरती पर काशी नगरी में देव दिवाली का त्योहार मनाने के लिए आते हैं. इस दिन गंगा घाटों को दीयों की रोशनी से रोशन किया जाता है और दीपदान किया जाता है.