Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर निर्मित इन शुभ ग्रहों में अनुष्ठान कर देवी लक्ष्मी को करें प्रसन्न! जानें इसका महत्व, मुहूर्त एवं अनुष्ठान-विधि!
सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन कई वजहों से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन कार्तिक मास का अंतिम का अंतिम स्नान होता है, इसी दिन देव दिवाली मनाई जाती है, सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक सिंह की जयंती मनाई जाती है, इस दिन पवित्र गंगा में स्नान-दान एवं भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की संयुक्त पूजा का भी विधान है.
Kartik Purnima 2024: सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन कई वजहों से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन कार्तिक मास का अंतिम का अंतिम स्नान होता है, इसी दिन देव दिवाली मनाई जाती है, सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक सिंह की जयंती मनाई जाती है, इस दिन पवित्र गंगा में स्नान-दान एवं भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की संयुक्त पूजा का भी विधान है. ऐसा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है, घर में लक्ष्मी का वास होता है. इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी.
कार्तिक पूर्णिमाः मूल तिथि, शुभ योगों का संयोग एवं शुभ मुहूर्त
- कार्तिक पूर्णिमा प्रारंभ: 06.19 AM (15 नवंबर 2024)
- कार्तिक पूर्णिमा समाप्त: 02.58 AM (16 नवंबर 2024)
- उदया तिथि के अनुसार 15 नवंबर 2024 को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी.
कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहे ये शुभ योग!
- इस दिन चंद्रमा और मंगल एक-दूसरे की राशि में रहकर राशि परिवर्तन योग बनाएंगे.
- इस दिन गजकेसरी योग और बुधादित्य राजयोग का निर्माण हो रहा है.
- कार्तिक पूर्णिमा पर शश राजयोग का शुभ संयोग भी बन रहा है.
- इस दिन शनि अपनी राशि कुंभ में मार्गी होने जा रहे हैं.
उपरोक्त सभी शुभ योग में किया जाने वाला दान सौ गुना फल देता है, जिससे सारे आर्थिक कष्ट दूर होंगे.
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा पर्व को ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ और ‘देव दिवाली’ के नाम से भी संबोधित किया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन स्वर्गलोक के सभी देवी-देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं. उनके भव्य स्वागतार्थ सर्वत्र दीप प्रज्वलित किये जाते हैं.
किंवदंतियों के अनुसार महाबलशाली राक्षसराज त्रिपुरासुर ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था. तब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का संहार किया था. इसी कारण से उन्हें त्रिपुरारी भी कहा जाता है. इसी दिन सिखों के प्रथम-गुरु गुरु नानक साहब की जयंती मनाई जाती है, और कार्तिक माह का अंतिम स्नान भी किया जाता है.
कार्तिक पूर्णिमा पर सत्यनारायण कथा का विधान
पद्म पुराण में कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने का विशेष महत्व होता है. इस दिन घर में कथा सुनने से घर में व्याप्त हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है. ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने से ग्रहों की दशा अनुकूल होती है, और आर्थिक संकट दूर होते हैं. माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा से आय के नये मार्ग प्रशस्त होते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा पूजा अनुष्ठान
कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्योदय से पूर्व गंगा-स्नान का विधान है, अगर गंगा-स्नान सुलभ नहीं है, तो स्नान के जल में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर स्नान करने से भी कार्तिक पूर्णिमा के गंगा-स्नान का पुण्य प्राप्त होता है. स्नान के पश्चात पुष्प, धूप और दीप से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. इस दिन उपवास, या सत्यनारायण कथा पढ़ या सुनकर भी मनाया जाता है. इस दिन बहुत सारे लोग 'रुद्राभिषेक' भी करते हैं.
इस दिन भगवान शिव और विष्णु जी के मंदिरों को सजाया जाता है. इस दिन दीये दान करना, वैदिक मंत्रों और भजनों का पाठ करना शुभ माना जाता है. इस दिन पुष्कर में, भगवान विष्णु और तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है. इन अनुष्ठानों को करने से जातक को भगवान शिव एवं विष्णु का आशीर्वाद से सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है, और जीवन के सारे सुख भोग कर बैकुंठ धाम प्राप्त होता है.