Kalashtami 2024: क्यों मनाई जाती है कालाष्टमी? इस विधि से करें पूजा तो भूत-प्रेत- अकाल मृत्यु एवं नकारात्मक शक्तियों से मिलती है मुक्ति!

सनातन धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में एक है कालाष्टमी. प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाये जाने वाले इस पर्व में भगवान काल भैरव का उपरोक्त मंत्रों के जाप के साथ पूजा आदि का विधान है. कालाष्टमी नये साल 2024 का पहला आध्यात्मिक पर्व है.

Kalashtami 2024

सनातन धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में एक है कालाष्टमी. प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाये जाने वाले इस पर्व में भगवान काल भैरव का उपरोक्त मंत्रों के जाप के साथ पूजा आदि का विधान है. कालाष्टमी नये साल 2024 का पहला आध्यात्मिक पर्व है. मान्यताओं के अनुसार कोई भी भक्त किसी भी तरह के कष्टों अथवा समस्याओं से पीड़ित है तो उसे कालाष्टमी को महाकाल भैरव का ध्यान कर उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए. बाबा भैरवनाथ की कृपा से उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. इस वर्ष 04 जनवरी को कालाष्टमी व्रत-पूजा रखी जाएगी. आइये जानते हैं कालाष्टमी व्रत के महत्व, एवं पूजा-मंत्र आदि के बारे में विस्तार से. यह भी पढ़ें: Datta Jayanti 2023 Wishes: दत्तात्रेय जयंती की इन हिंदी Quotes, WhatsApp Messages, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं

कालाष्टमी का महत्व

सनातन मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी के दिन भगवान शिव स्वरूप बाबा भैरवनाथ पापियों को दंड देते हैं, इसलिए इसे भैरव बाबा की दंडापाणि भी कहा जाता है. तंत्र साधना में काल भैरव के 8 स्वरूपों (भीषण भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, रुद्र भैरव, असितांग भैरव, संहार भैरव, कपाली भैरव एवं उन्मत्त भैरव.) का विशेष वर्णन उल्लेखित है. कालाष्टमी के दिन कालभैरव की विधि विधान से पूजा-साधना करने से व्यक्ति के जीवन में चल रहे सारे संकट मिट जाते हैं, और अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है. इसके साथ-साथ किसी की कुंडली में शनि, राहु या केतु की महादशा होने पर यदि भगवान भैरव की साधना की जाए तो उपयुक्त सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है

पौष मास कालाष्टमी शुभ मुहूर्त

पौष कृष्ण पक्ष अष्टमी प्रारंभः 07.48 PM (03 जनवरी 2024, बुधवार)

पौष कृष्ण पक्ष अष्टमी समाप्तः 10.04 PM (04 जनवरी 2024, गुरूवार)

उदया तिथि के अनुसार पौष कृष्ण पक्ष अष्टमी यानी कालाष्टमी 4 जनवरी को मनाया जाएगा.

भैरव बाबा की पूजा विधि

कालाष्टमी पर भैरव बाबा की पूजा अष्टमी के दिन रात के समय की जाती है. इस दिन बाबा काल भैरव को जल अर्पित कर भैरवजी की कथा सुनें अथवा पढ़ें. चूंकि भैरव बाबा भगवान शिव का स्वरूप हैं, इसलिए इस दिन भगवान शिव एवं देवी पार्वती की भी विधिवत पूजा करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान और पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है. काल भैरव की पूजा में काले तिल, धूप, दीप, गंध, उड़द आदि का इस्तेमाल करना चाहिए. मान्यता है कि विधि-विधान से पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां, भूत-प्रेत दूर रहते है, तथा जीवन में खुशियाँ, शक्ति और समृद्धि आती है.

काल भैरव पूजा के दरमियान इन उपायों को करने से अभीष्ठ मनोकामनाएं पूरी होंगी.

* आपका प्रमोशन, इन्क्रिमेंट, व्यवसाय का उचित लाभ नहीं मिल रहा है या कोई अन्य व्यवधान है तो कालाष्टमी के दिन महाकाल भैरव की पूजा के दरम्यान निम्न मंत्र का जाप करने से शीघ्र लाभ प्राप्त हो सकता है

ॐ ब्रह्म काल भैरवाय फट

* अगर आपकी संतान किसी समस्या से ग्रस्त है तो इससे मुक्ति के लिए स्नान-ध्यान के पश्चात निकटतम कालभैरव मंदिर जाकर महाकाल भैरव का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का 11 अथवा 21 बार जाप करते समय पुत्र को संकट से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करें.

ॐ भयहरणं च भैरव:ल’

* कालाष्टमी के दिन काल भैरव बाबा के आठ स्वरूपों (चंड भैरव, रूरू भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाल भैरव, भीषण भैरव और संहार भैरव) के नामों का स्मरण अथवा उच्चारण करने से बाबा भैरव जातक की आठों दिशाओं से रक्षा करते हैं.

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