भाद्रपद महीने की तृतीया को कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है. इसे कजली तीज या बड़ी तीज के नाम से भी जाना है. भारत में तीज का त्योहार पूरे साल में तीन बार मनाया जाता है. हरतालिका तीज, हरियाली तीज और कजरी तीज. इस बार कजरी तीज का त्योहार 29 अगस्त 2018, बुधवार के दिन मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में मान्यता है कि कजरी तीज के दिन सुहागिनों को पति की लंबी उम्र का वरदान मिलता है, जबकि कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर का आर्शीवाद मिलता है. कजरी तीज को कजरी नाम इसलिए दिया गया क्यों कि यह भादों महीने के कृष्ण पक्ष में आती है. कजरी तीज मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है.
कजरी तीज महिलाओं के सजने संवरने का त्योहार है, इसमें महिलाऐं सोलह शृंगार कर भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना करती है. महिलाएं इस दिन व्रत रखकर अपने पति की लम्बी उम्र और अपने सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करती हैं. माना जाता है कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को अपनी कठोर तपस्या से प्राप्त किया था. इस दिन संयुक्त रूप से भगवान शिव और पार्वती की उपासना करनी चाहिए. इससे कुंवारी कन्याओं को अच्छा वर प्राप्त होता है. साथ ही सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है. यह व्रत तब तक पूरा नहीं माना जाता, जब तक कि इसकी व्रत कथा ना पढ़ी जाए.
गौ माता कि पूजा का विशेष महत्व
कजरी तीज में गौ माता की पूजा को विशेष महत्त्व दिया गया है. इस दिन गौमाता की विशेष रूप से पूजा की जाती है. आटे की 7 लोइयां बनाकर उसमे घी और गुड़ रखकर गाय को खिलाने कि परंपरा है. मान्यता है कि इस तरह की लोइयां गाय को खिलाने के बाद ही महिलाओं को व्रत खोलना चाहिए, इससे व्रत पूर्ण सफल माना जाता है.
विशेष पकवानों का त्योहार है कजरी तीज
कजरी तीज पर तरह-तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं. जौ, गेहूं और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इन पकवानों को शुद्धता के साथ बना कर तीज माता को भोग लगाया जाता है.
गीत-संगीत और झूले का त्योहार
अन्य दो तीजों कि तरह कजरी तीज पर भी नाचने, गाने और झूला झूलने का रिवाज़ है. इस दिन बगीचों और घरों के आंगनों में झूले डाले जाते हैं और महिलाएं इकट्ठा होकर एक दुसरे को बारी-बारी झूलाती हैं और और साथ ही नाचने गाने का भी आनंद लेती हैं.
व्रत सामग्री और नियम
कजरी तीज के व्रत के लिए सामग्री में हल्दी, कुमकुम, काजल, मेहंदी, अगरबत्ती, मौली, दीपक मुख्य हैं. इस व्रत में दान का भी विशेष महत्व है दान करने वाली वस्तुओं में वस्त्र, सत्तू, फल, मिठाई आदि मुख्य हैं. इस व्रत में काले और सफेद कपड़ों को वर्जित माना जाता है. लाल और हरे रंग के कपड़ों को इस दिन शुभ माना जाता है. श्रृंगार में मेहंदी और चूड़ियों का प्रयोग जरुर करना चाहिए.
पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. कजरी तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है. वहीं गर्भवती महिलाओं को फलाहार करने की अनुमति होती है. यदि कुछ महिलाएं बीमारी के कारण या फिर किसी अन्य वजह से व्रत रखने में असमर्थ हैं तो वह एक बार व्रत का उद्यापन करने के पश्चात फलाहार करके व्रत रख सकती हैं.
कजरी तीज तिथि और मुहूर्त
28 अगस्त 2018 को रात्रि 20:41:26 से तृतीया आरम्भ
29 अगस्त 2018 को रात्रि 21:40:13 पर तृतीया समाप्त