Janmashtami 2020 Date श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर हमेशा दुविधा रहती है कि जन्माष्टमी किस दिन मनाई जायेगी. दरअसल सनातन धर्म में कृष्ण-जन्म को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. भाद्रपद की अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव नक्षत्रों के अनुसार दो दिन मनाई जाती है. एक दिन स्मार्तों की जन्माष्टमी मनाई जाती है, इसके बाद आम लोगों द्वारा व्रत एवं श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना कर जन्माष्टमी मनाई जाती है. स्मार्त जन्माष्टमी के दिन संत-समाज कृष्ण मंदिरों में एकत्र होकर श्रीकृष्ण भजनों पर नाचते-झूमते हुए जन्माष्टमी मनाते हैं. इससे इतर आम लोगों द्वारा व्रत वाली जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस दिन सारे हिंदू घरों में जन्माष्टमी का व्रत रखा जाता है, जगह-जगह झांकियां सजाई जाती है. मध्यरात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2020 में 11 अगस्त को स्मार्तों की जन्माष्टमी और 12 अगस्त को गृहस्थों की जन्माष्टमी पड़ रहा है. अब प्रश्न उठता है कि इसमें से मूल जन्माष्टमी किसे कहा जाये. इस संशय को हमारे ज्योतिषाचार्य श्री रवींद्र पाण्डेय दूर करते हैं. आइये जानें क्या कहते हैं वह...
श्री रवींद्र पाण्डेय के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनायी जाती है. श्रीमद् भगवत के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के संदर्भ में ज्योतिष गणना कहती है कि जन्माष्टमी पर अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र होना चाहिए. लेकिन कभी-कभी ऐसा संयोग भी बन जाता है, जब अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही दिन नहीं होते. इस बार भी कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 11 अगस्त को सुबह 09.07 बजे अष्टमी लग जायेगी, जो 12 अगस्त को दिन 11.17 बजे तक रहेगी, जबकि रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को तड़के 03.27 बजे से भोर के 05.22 बजे तक रहेगा. क्योंकि 11 को सूर्योदय की तिथि न होकर 12 अगस्त को पड़ेगी. इसीलिए वैष्णव समाज के लोग फिलहाल इसी तिथि को जन्माष्टमी के रूप में मान रहे हैं, इसीलिए मथुरा-वृंदावन से लेकर इस्कॉन मंदिरों एवं अन्य प्रमुख कृष्ण मंदिरों में भी 12 अगस्त को ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जायेगा.
अब प्रश्न उठता है कि गृहस्थों को जन्माष्टमी का व्रत किस दिन रखना चाहिए. ज्योतिष गणना के अनुसार गृहस्थों को उसी दिन व्रत रखना चाहिए जिस रात अष्टमी लग रही है. अगर हिंदू पंचांग को आधार मानें तो 11 अगस्त यानी मंगलवार की रात को अष्टमी रहेगी, इसलिए गृहस्थ लोग इस दिन व्रत रखकर रात्रि बारह बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मना सकते हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर 12 अगस्त को व्रत का पारण कर दें. वहीं वैष्णव एवं साधु-संत 12 अगस्त को व्रत रखें और इस दिन सुबह 11,17 मिनट तक अष्टमी रहेगी, इसके बाद नवमी तिथि लग जायेगी. इस बार 12 अगस्त की रात 12.05 मिनट से 12.48 मिनट तक श्रीकृष्ण जी का जन्म एवं पूजा-अर्चना की जा सकती है.
अब जानें श्रीकृष्ण जन्मभूमि यानी मथुरा में कब मनायी जायेगी जन्माष्टमी. सूत्रों के अनुसार मथुरा में ब्रज सहित समूचे देश और विदेश में 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जायेगी, लेकिन नंदगांव में जन्माष्टमी का उत्सव एक दिन पूर्व यानी 11 अगस्त को ही मनाया जायेगा, पौराणिक कथाओं के अनुसार जहां श्रीकृष्ण के बचपन की तमाम यादें आज भी वहां बीता. इसके पीछे यह धारणा है कि नंदगांव में श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन से आठवे दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा रही है. हां यह अलग बात है कि इस वर्ष कोरोना की महामारी को देखते हुए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सार्वजनिक रूप से नहीं मनायी जायेगी, ना ही मंदिरों में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा. बल्कि कहा तो यह भी जा रहा है कि नंदगांव में सैकड़ों साल पुरानी प्रथा भी नहीं निभाई जायेगी, जब श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में वहां खुशी के लड्डू बांटे जाते रहे हैं. इस बात का मलाल हर कृष्ण भक्तों को है.