International Moon Day 2023: हजारों वर्षों से मानव हमारे एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा की उत्पत्ति और उसके रहस्यों पर शोध करते हुए अंतरिक्ष की यात्राएं करती रही है. हाल ही में भारत ने भी चंद्रयान 3 को चंद्रमा पर भेजा है. कहने का आशय यह है कि जैसे-जैसे चंद्रमा की खोज के सतत प्रयास महत्वाकांक्षी योजनाओं के साथ आकार लेते रहेंगे, यह वैश्विक उत्सव न केवल अतीत में मिली सफलता की याद दिलाएगा बल्कि भविष्य के और सटीक प्रयासों का साक्षी होगा. चंद्रमा के प्रति निरंतर बढ़ती अभिलाषा एवं वहां तक पहुंचने के प्रयासों को और ज्यादा सफल बनाने के लिए 9 दिसंबर 2021 के दिन अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस (International Moon Day) मनाने की घोषणा की, और 20 जुलाई 2022 को पहली बार दुनिया भर ने चंद्रमा दिवस मनाया. इस तरह आगामी 20 जुलाई 2023 को हम अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस की पहली वर्षगांठ मनाएंगे. आइये जानते हैं इस अंतरराष्ट्रीय उत्सव के पीछे की रोचक घटनाएं...यह भी पढ़ें: Mangal Pandey Birth Anniversary 2023: देश का प्रथम क्रांतिकारी सिपाही मंगल पांडे! उन्हें जल्लाद ने फांसी पर लटकाने से क्यों मना किया?
चंद्रमा पर पृथ्वी की जीत!
चंद्रमा पर मानव की पहली लैंडिंग की वर्षगांठ मनाने के मकसद से 20 जुलाई की तारीख अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस के रूप में चुना गया था, इस लैंडिंग को '11 मिशन' के तहत पूरा किया गया था, जिसके साक्षी थे नील आर्मस्ट्रांग और एडविन बज़ एल्ड्रिन, जिसने दुनिया में पहली बार चंद्रमा पर कदम रखा था, और चंद्रमा के रहस्यों को जानने-समझने के लिए बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे थे, माइकल कोलिन्स. किसी भी पृथ्वीवासी के लिए चंद्रमा की खोज में एक ऐतिहासिक उपलब्धि कही जाएगी, क्योंकि भविष्य के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए यह विश्वास पुख्ता हो गया था, कि चंद्रमा के और भी रहस्यों को उजागर करना उनके लिए नई संभावनाएं तलाशने में मदद करेगा.
अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस का पहला वैश्विक उत्सव चंद्रमा पर मानव के पहले कदम पड़ने के 53 वर्ष पश्चात 20 जुलाई, 2022 को मनाया गया. बता दें, अंतरिक्ष उड़ान अपोलो 11 कमांडर नील आर्मस्ट्रांग, चंद्र मॉड्यूल पायलट, बज़ एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स को पहली बार चंद्रमा पर ले गई थी. अमेरिकी नील आर्मस्ट्रांग और एडविन 'बज़' एल्ड्रिन 20 जुलाई, 1969 को चंद्रमा छूने वाले पहले मानव बने. राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा राष्ट्रीय लक्ष्य की घोषणा के आठ साल बाद भव्य अपोलो 11 मिशन पूरा हुआ. 16 जुलाई, 1969 की सुबह 9.32 बजे, दुनिया ने अपोलो-11 को तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरते देखा, मिशन के कमांडर थे नील आर्मस्ट्रांग. तीन दिन बाद अंतरिक्ष यान 19 जुलाई को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा. अगले दिन चंद्र मॉड्यूल, ईगल, मुख्य कमांड मॉड्यूल से अलग हुआ, जिसे आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन द्वारा संचालित किया था.
अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस का महत्व
मून विलेज एसोसिएशन और उनके संगठन ने अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा. इसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों, विशेष रूप से युवा पीढ़ी को इस संदर्भ में ज्यादा से ज्यादा ज्ञान और प्रशिक्षण से ज्योतिष और खगोल शास्त्र के बारे में ज्ञानार्जन कराना है, साथ ही चंद्रमा को भी पृथ्वी की तरह सतत प्रयोग की उम्मीदें जगाना है.
चंदा मामा से संबंधित कुछ रोचक फैक्ट
* चंद्रमा पृथ्वी का मात्र 27 प्रतिशत हिस्सा है.
* चंद्रमा का आकार गोला नहीं अंडाकार है, मगर पृथ्वी से यह गोल आकार का दिखता है.
पिछले 41 सालों से चन्द्रमा पर कोई भी इंसान नहीं गया है।
* कहते हैं कि पृथ्वी की सतह से चांद अदृश्य हो जाये तो पृथ्वी पर मात्र 6 घंटों का दिन रह जायेगा.
* ब्रह्माण्ड में उपस्थित 63 उपग्रहों में चंद्रमा का आकार 5वें स्थान पर आता है.
* चन्द्रमा का मात्र 59 प्रतिशत हिस्सा पृथ्वी से नजर आता है.
* मान्यता है कि करीब 450 करोड़ साल पूर्व ‘थैया’ नामक एक उल्का पिंड पृथ्वी से टकराया था, टककर इतनी जबरदस्त थी कि धरती का कुछ हिस्सा टूट कर गिर गया जिससे चंद्रमा की उत्पत्ति हुई.
* चांद को पृथ्वी की परिक्रमा करने में करीब 28 दिन लगते हैं, इसे सिंक्रोनस मोशन कहते हैं.