International Day for Older Persons 2019: वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान का दिन है अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस, परिवार के बुजुर्गों से जताएं प्यार, न करें उनकी अनदेखी
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस 2019 (Photo Credits: Pixabay)

International Day for Older Persons 2019: पहले जहां घर-परिवार के बुजुर्गों (Older Person of Family) का आदर सम्मान किया जाता था और उनके द्वारा किए गए फैसलों का अनुशासनपूर्वक पालन किया जाता था, तो आधुनिकता के इस दौर में अधिकांश परिवारों में बुजुर्गों की अनदेखी की जाने लगी है. पहले जहां संयुक्त परिवार में लोग एक-दूसरे के साथ खुशी-खुशी रहते थे तो वहीं आज के इस दौर में प्राइवेसी और छोटे परिवार की चाहत में लोग अपने घर के बड़े-बुजुर्गों की अनदेखी करने लगे हैं. बुजुर्ग अनदेखी के नहीं, बल्कि प्यार और सम्मान के हकदार हैं, इस बात से दुनिया भर के लोगों को रूबरू कराने के लिए हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस (International Day for Older Persons) मनाया जाता है. इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस, विश्व प्रौढ़ दिवस और अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के नाम से भी जाना जाता है.

इस अवसर पर दुनिया भर के बुजुर्गों के प्रति सम्मान जाहिर किया जाता है और उनके प्रति चिंतन किया जाता है. दरअसल, आज का वृद्ध वर्ग (Old Age) सामान्य तौर पर इस बात से अत्यधिक दुखी रहता है कि उनके पास जीवन का वास्तविक अनुभव होने के बावजूद घर परिवार के लोग न तो उनकी राय लेना पसंद करते हैं और न ही उन्हें महत्व देते हैं. यहां तक कि आज की पीढ़ी अपने परिवार के बुजुर्गों या वृद्ध माता-पिता का सहारा बनने की बजाय उन्हें वृद्धाश्रम में बेसहारा छोड़ने से भी नहीं हिचकिचाती है.

कैसे हुई इस दिवस की शुरुआत?

विश्व में बुजुर्गों के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार और अन्याय को खत्म करने और लोगों को बुजुर्गों की स्थिति के प्रति जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 14 दिसंबर 1990 को यह फैसला किया कि हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस मनाया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र की इस घोषणा के बाद 1 अक्टूबर साल 1991 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस मनाया गया और तब से हर साल 1 अक्टूबर को बुजुर्गों के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है.

क्या है इस दिवस का महत्व?

बुजुर्गों की समस्या पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में सबसे पहले अर्जेंटीना ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था. संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस मनाए जाने की घोषणा के बाद से विश्व के सभी देशों में इस दिवस को मनाया जाने लगा. इस खास दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें वृद्ध व्यक्तियों के प्रति सम्मान, संवेदना और वृद्धावस्था की बीमारियों के बारे में चर्चा की जाती है. इस दौरान घर-परिवार में बुजुर्गों के होने की अहमियत से रूबरू कराया जाता है, क्योंकि बुजुर्गों की मौजूदगी से घर-परिवार में रौनक बनी रहती है. यह भी पढ़ें: International Day of Families 2019: फैमिली है तो सब कुछ है, इन छोटी-छोटी बातों से बनाएं परिवार के साथ अपना एक मजबूत रिश्ता

न करें बुजुर्गों की अनदेखी

पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश माना जाता है जहां तीन पीढ़ीयां एक ही घर में प्यार से रहती थीं, लेकिन आज के इस दौर में परिस्थितियां इसके विपरित हो गई हैं. आज के इस बदलते सामाजिक परिवेश और बदलती पारिवारिक स्थितियों के चलते घर के बुजुर्गों और बच्चों के बीच दूरी पैदा होने लगी है. देश के अधिकतर परिवारों में उम्र के आखिरी पड़ाव में बुजुर्गों की अनदेखी की जाने लगी है. उन्हें बेकार का सामान समझकर या तो घर के किसी कोने में या फिर वृद्धाश्रम में रख दिया जाता है, जबकि उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत अपने बच्चों के प्यार और अपनेपन की होती है, इसलिए उन्हें नजरअंदाज करने की बजाय प्यार और सम्मान दें.

भारत में बुजुर्गों की स्थिति

देश के अधिकांश घरों में ही नहीं, बल्कि बाहर भी बुजुर्गों की स्थिति बेहद चिंताजनक है. करीब 44 फीसदी बुजुर्गों का कहना है कि सार्वजनिक स्थानों पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. करीब 53 बुजुर्गों का कहना है कि भारतीय समाज उनके साथ भेदभाव करता है. वृद्धों के लिए दुनिया की सबसे बेहतरीन और सबसे खराब जगहों की वर्ल्ड रैंकिंग में स्विटजरलैंड का नाम सबसे अच्छी जगह में शुमार है तो वहीं भारत का नाम सबसे खराब जगह में शुमार किया गया है. हेल्पेज इंटरनेशनल नेटवर्क ऑफ चैरिटीज की ओर से जारी किए गए 96 देशों के ग्लोबल एज वॉच इंडेक्स में भारत को 71वां स्थान दिया गया है.