Happy Hanuman Jayanti 2019: धर्म शास्त्रों के अनुसार चैत्रीय पूर्णिमा (Chaitra Purnima) के दिन हनुमान जी (Hanuman Ji) का जन्म हुआ था. हनुमान जी को भगवान शिव (Bhagwan Shiv) का ग्यारहवां अवतार भी माना जाता है. कहते हैं कि उनका यह अवतार श्रीराम की भक्ति और श्रीराम के कार्यों की सिद्धी को पूरा करने के लिए हुआ था. हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे. उन्होंने अपना संपूर्ण जन्म अपने प्रभु श्रीराम जी की सेवा में बिता दिया. हनुमान जी बजरंगबली, मारुति, अंजनि पुत्र, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश एवं शंकर सुवन के नाम से भी जाने जाते हैं.
हनुमान जी का जन्म
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को लेकर जब दैत्य भागे तो देवताओं और दैत्यों के बीच भीषण संग्राम हुआ. अंततः भगवान विष्णु को मोहिनी के रूप में प्रकट होना पड़ा. मोहिनी का सौंदर्य देख दैत्य एवं देवताओं के साथ ही भगवान शिव भी कामातुर हो गये. मोहिनी के आकर्षण से शिवजी ने अपना वीर्यपात कर दिया. शिव के वीर्य को दुरुपयोग से बचाने के लिए वायुदेव ने शिवजी के बीज को वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया. इस तरह अंजना के गर्भ से वानर रूप हनुमान जी ने जन्म लिया. इसीलिए हनुमान जी को शिवजी का 11वां रूद्र अवतार भी माना जाता है. यह भी पढ़ें: मंगलवार-शनिवार को हनुमान जी की पूजा से पूरी होती है भक्तों की हर मुराद, जानिए क्यों उन्हें लेना पड़ा था 'पंचमुखी' अवतार
हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त
हनुमान जयंती तिथि – शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 18 अप्रैल 2019 को शाम 07:26 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 19 अप्रैल 2019 को शाम 04:41 बजे तक
व्रत एवं पूजन विधि
हनुमान जयंती के अवसर पर जो श्रद्धालु व्रत रखते हैं, उन्हें एक दिन पूर्व से ही ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करना जरूरी होता है. कुछ लोग इस अवसर पर पास के हनुमान मंदिर जाते हैं तो कुछ लोग घर पर ही हनुमान जी की पूजा करते हैं. इस दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सर्वप्रथम श्रीराम, माता सीता व हनुमान जी का ध्यान करें. इसक पश्चात स्नान ध्यान कर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें. अब पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना करें. पूजा के दौरान हनुमान जी को जनेऊ चढ़ाकर सिंदूर और चांदी का वर्क चढ़ाया जाता है. प्रसाद में गुड़ के साथ भीगे अथवा भुने हुए चने चढ़ाए जाते हैं अथवा बेसन के लड्डू भी चढ़ा सकते हैं.
पूजा के दौरान पहले हनुमान चालीसा फिर बजरंग बाण का पाठ करते हैं. अंत में हनुमान जी की आरती उतारी जाती है. कुछ लोग हनुमान जयंती के अवसर पर घर अथवा मंदिर में सुंदरकांड अथवा संपूर्ण रामायण (रामचरित मानस) का पाठ भी करवाते हैं. इस अवसर पर पूरे देश में जगह-जगह भंडारा आयोजित करवाया जाता है और पूरे दिन श्रद्धालुओं को भोजन और प्रसाद वितरित किया जाता है. विधिवत पूजा अर्चना करने से सारे दोषों से मुक्ति मिलती है और सफलता के मार्ग प्रशस्त होते हैं तथा धन संबंधी समस्याएं खत्म होती हैं. यह भी पढ़ें: क्यों नहीं बचा सके हनुमान जी प्रभु श्रीराम की जान?
कहीं-कहीं दीपावली के दिन भी हनुमान जयंती मनायी जाती है. इस संदर्भ में प्रचलित कथा के अनुसार श्रीराम के प्रति हनुमान जी की भक्ति और समर्पण देख सीता जी ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था. कहा जाता है कि वह कार्तिक अमावस्या यानी दीपावली का दिन था, इसलिए इस दिन भी हनुमान जयंती मनाने की परंपरा है. तमिलनाडु व केरल में मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को हनुमान जयंती मनायी जाती है तो उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन हनुमान जयंती मनाने की परंपरा है. कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के 10 वें दिन तक हनुमान जयंती मनायी जाती है. इस दौरान हनुमान मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है, और रोज भंडारा चलता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की अपनी निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.