
Guru Tegh Bahadur Jayanti 2025 Wishes in Hindi: सिख धर्म के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर साहिब की जयंती (Guru Tegh Bahadur Jayanti) हर साल 21 अप्रैल को मनाई जाती है. उनका जन्म 21 अप्रैल 1661 को हुआ था, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार, उनकी जन्म तिथि वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि बताई जाती है. गुरु तेग बहादुर जी (Guru Tegh Bahadur Ji) सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद साहिब और माता नानकी के सबसे छोटे पुत्र थे. गुरु तेग बहादुर को बहादुर योद्धा के रूप में याद किया जाता है और उनकी जयंती को प्रकाश पर्व (Prakash Parv) के तौर पर मनाया जाता है. धैर्य, वैराग्य और त्याग की मूर्ति कहे जाने वाले तेग बहादुर साहिब जी ने 20 सालों तक साधना की थी. उन्होंने धर्म और मानवता की रक्षा में न सिर्फ अपना जीवन समर्पित कर दिया, बल्कि इसके लिए उन्होंने अपने प्राण भी न्योछावर कर दिए थे. ऐसी मान्यता है कि उनकी शहादत दुनिया के मानव अधिकारों के लिए पहली शहादत थी, इसलिए उन्हें सम्मान से 'हिंद की चादर' कहा जाता है.
बचपन में त्यागमल कहे जाने वाले गुरु तेग बहादुर जी ने 14 वर्ष की उम्र में ही अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में वीरता का परिचय दिया था और उनकी इस वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने ही उनका नाम ‘तेग बहादुर’ रखा था. गुरु तेग बहादुर जयंती के इस खास अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स के जरिए अपनों को प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं दे सकते हैं. यह भी पढ़ें: Guru Tegh Bahadur Jayanti 2025: सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व पर इन Wishes, Greetings, Messages के जरिए दें अपनों को शुभकामनाएं
और इस प्रकाश पर्व पर वे आप पर अपनी कृपा बरसाते रहें.
गुरु तेग बहादुर जयंती की शुभकामनाएं

आप हमेशा सच्चाई के साथ खड़े रहें.
गुरु तेग बहादुर जयंती की शुभकामनाएं

वह ब्रह्मांड का निर्माता है.
इस प्रकाश पर्व, आपकी सभी इच्छाएं और सपने सच हों.
गुरु तेग बहादुर जयंती की शुभकामनाएं

वह हमें एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करें.
गुरु तेग बहादुर जयंती की शुभकामनाएं

बल्कि अपना सिर छोड़ दें.
अपने जीवन का बलिदान दें, लेकिन अपने विश्वास को कभी नहीं तोड़ें.
गुरु तेग बहादुर जयंती की शुभकामनाएं

गुरु तेग बहादुर जी एक महान कवि, चिंतक और साहसी योद्धा थे. उन्होंने गुरु नानक देव जी और अन्य सिख गुरुओं की पवित्रता और दिव्यता की ज्योति को आगे बढ़ाया. उनका विवाह 1631 में करतारपुर (जालंधर) में बीबी गुजरी से हुआ था, जिसके कुछ दिनों बाद ही वो परिवार सहित अमृतसर के निकट बकाला में आकर रहने लगे. सिखों के आठवें गुरु के निधन के बाद गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने साल 1665 से 1675 तक नौवें गुरु के रूप में गद्दी संभाली.