Guru Ravidas Jayanti Hindi Quotes : महान संतों में शुमार गुरु रविदास जी की जयंती (Guru Ravidas Jayanti) आज देश भर में मनाई जा रही है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, रैदास यानी संत रविदास जी का जन्म माघ मास की पूर्णिमा (Maghi Purnima) को हुआ था, इसलिए माघी पूर्णिमा के दिन उनकी जयंती मनाई जाती है. संत रविदास (Sant Ravidas) के पिता जूते बनाने का काम करते थे, इसलिए आजीविका के लिए गुरु रविदास (Guru Ravidas) भी अपने पिता की तरह जूते बनाने लगे. उन्होंने इसे खुशी-खुशी अपनाया और पूरी मेहनत से अपने पिता के काम को आगे बढ़ाया, लेकिन उनकी परोपकार की भावना और दयालुता की वजहे से उनके माता-पिता दुखी थे. बताया जाता है कि उनकी दयालुता के कारण घर में पैसों के तंगी होने लगी और एक दिन उनके पिता ने परेशान होकर रविदास और उनकी पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया.
संत रविदास ने समाज की कुरीतियों और जाति के नाम पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज को हमेशा कल्याणकारी मार्ग दिखाया. संत रविदास जयंती के इस बेहद खास मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं उनके कुछ अनमोल वचन (Sant Ravidas Inspirational Quotes), जिन्हें अपने जीवन में शामिल करके आप अपना जीवन बदल सकते हैं.
1- भ्रम के नष्ट होने पर ही प्रभु की प्राप्ति संभव है.
2- निराकार प्रभु में खुद को समर्पित करने से ही उसकी प्राप्ति होती है, पूजा की सभी वस्तुएं सांसारिक हैं.
3- मोह-माया में फंसा जीव भटकता रहता है, जबकि इस माया को बनाने वाला ही मुक्ति दाता है.
4- हरि सिमरन से भवसागर पार होता है, इस लोक में भी हरि नाम जीवआत्मा का एकमात्र सहारा है.
5- सिर्फ जन्म लेने से कोई ऊंच-नीच नहीं बन जाता, बल्कि इंसान के कर्म ही उसे ऊंच या नीच बनाते हैं.
6- हरि की आशा छोड़कर जो दूसरे की आशा करता है, वह व्यक्ति निश्चित ही यमपुरी जाता है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में जन्में रविदास एक महान संत और समाज सुधारक थे. कहा जाता है कि बचपन से ही रैदास साधु संतों के प्रभाव में रहने लगे थे, जिसके चलते उनमें भक्ति की भावना बचपन से ही भर गई थी. उनकी खासियत थी कि वे बहुत ही दयालु और परोपकारी स्वभाव के थे, यही वजह है कि उन्हें दूसरों की मदद करना अच्छा लगता था. उन्होंने अपने जीवन काल में छुआछूत, जात-पात जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई. उनका मानना था कि जन्म से कोई भी व्यक्ति नीच नहीं होता है. उसके कर्म ही उसे ऊंच या नीच बनाते हैं.