Gayatri Jayanti 2022 Messages in Hindi: वेद माता गायत्री (Ved Mata Gayatri) को देवी पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी का संयुक्त अवतार माना जाता है. उनके एक हाथ में वेद और दूसरे हाथ में कमंडल है. गायत्री माता (Gayatri Mata) के पांच मुख और दस भुजाए हैं, उनके चार मुख चारों वेदों के प्रतीक माने जाते हैं और उनका पांचवां मुख सर्वशक्तिमान शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराध्य कही जाने वाली मां गायत्री की दस भुजाएं भगवान विष्णु का प्रतीक हैं. इस साल 11 जून 2022 को गायत्री जयंती (Gayatri Jayanti) का पर्व मनाया जाएगा, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गायत्री जयंती मनाई जाती है. इसी दिन निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) भी मनाई जाती है.
हिंदू धर्म में गायत्री देवी के मंत्र को महामंत्र कहा गया है, जिसके जप मात्र से हर परेशानी दूर हो सकती है. ज्योतिष शास्त्र के उपायों में भी गायत्री मंत्र का जप करने की सलाह दी जाती है. ऐसे में गायत्री जयंती के इस खास अवसर पर आप इन शानदार हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स और इमेजेस को भेजकर अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- हिंदू संस्कृति की जन्मदात्री,
सभी वेदों की माता ज्ञानदायिनी,
मां गायत्री जयंती की अनंत शुभकामनाएं.
गायत्री जयंती की हार्दिक बधाई
2- जैसे गंगा शरीर के पापों को धो कर,
तन मन को निर्मल करती हैं,
उसी प्रकार गायत्री रूपी ब्रह्म गंगा से,
व्यक्ति की आत्मा पवित्र हो जाती है.
गायत्री जयंती की हार्दिक बधाई
3- आप सभी को वेदमाता,
गायत्री जयंती की बधाई,
जगत जननी मां हम सभी पर,
अपनी कृपा बनाए रखें.
गायत्री जयंती की हार्दिक बधाई
4- ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री जयंती की हार्दिक बधाई
5- ब्रह्मा, विष्णु और महेश,
त्रिदेवों की आराध्य देवमाता व वेदमाता,
गायत्री जयंती की सभी को शुभकामनाएं.
गायत्री जयंती की हार्दिक बधाई
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी के मुख से गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था और वेदमाता गायत्री की कृपा से ही भगवान ब्रह्मा ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चारों मुखों से चार वेदों के तौर पर की थी. आरंभ में गायत्री माता की महिमा सिर्फ देवताओं तक ही सीमित थी, लेकिन गायत्री मां और गायत्री मंत्र की महिमा जन-जन तक पहुंच सके, इसके लिए महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तप किया था और उन्हीं के कारण लोगों तक इसकी महिमा पहुंच सकी है.