उत्तर प्रदेश में आज चांद का दीदार नहीं हुआ, अब रविवार 24 मई को चांद दिखेगा. 25 मई सोमवार को ईद-उल-फितर मनाई जाएगी.
Eid Moon Sighting 2020 Uttar Pradesh Live updates in Hindi: उत्तर प्रदेश में आज नहीं हुआ चांद का दीदार, 25 मई को मनाई जाएगी ईद
उत्तर प्रदेश में भी आज शाम को लोग चांद देखने की कोशिश करेंगे. यूपी के लखनऊ, कानपुर, नोएडा, प्रतापगढ़, आजमगढ़ समेत अन्य जगहों पर भी मुसलमान समाज के लोग चांद देखने की कोशिश करेंगे.
Eid-ul-Fitr Moon Sighting 2020 Uttar Pradesh: ईद-उल-फितर भारत में 24 या 25 मई को मनाया जा सकता है. केरल-कर्नाटक छोड़े तो देश में शुक्रवार को 28वां रोजा मुकम्मल हुआ. आज 29वां रोजा है. अगर आज चांद दिखा तो रविवार 24 मई को ईद का त्यौहार मनाया जाएगा नहीं तो सोमवार 25 मई को ईद मनाई जाएगी. उत्तर प्रदेश में भी आज शाम को लोग चांद देखने की कोशिश करेंगे. यूपी के लखनऊ, कानपुर, नोएडा, प्रतापगढ़, आजमगढ़ समेत अन्य जगहों पर भी मुसलमान समाज के लोग चांद देखने की कोशिश करेंगे. इस्लामिक कैलेंडर चांद पर आधारित है इसलिए आज शव्वल की चांद रात भी हो सकती है. इससे पहले शुक्रवार को जुमातुल विदा की नमाज पढ़ी गई.
23 या 24 मई को चांद दिखने के बाद रमजान का पाक महीना समाप्त होगा और लोग ईद मनाएंगे. खाड़ी देशों में रहने वाले मुसलमान 24 अप्रैल से ही रोजा रख रहे हैं. केरल और कर्नाटक में के मुसलमान भी 24 अप्रैल से ही रोजा रख रहे हैं. आज उनका 30वां रोजा पूरा हो रहा है.
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण इस बार ईद की तैयारियां फीकी रही हैं. बाजार बंद होने के कारण लोग मन पसंद चीजें नहीं खरीद सकें हैं. हालांकि जहां-जहां लॉकडाउन में छूट मिली है, वहां लोगों ने कुछ तैयारियां की हैं. लोगों से अपील की है कि वे इस बार घरों में रहकर ही ईद मनाएं.
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है. बता दें कि 22 मई शुक्रवार को सऊदी अरब में चांद नहीं दिखा था. जिसके बाद अब शनिवार यानी 23 मई को चांद के दीदार का अनुमान लगाया जा रहा है. सऊदी अरब समेत तमाम खाड़ी देशों में 24 मई यानी रविवार को ईद मनाई जाएगी.
ईद का समय और दिन अलग-अलग देशों में अलग-अलग होता है. ईद का दिन एकमात्र ऐसा दिन होता है जिस दिन मुस्लिम लोग रोजा नहीं रखते हैं. चांद का दीदार होने के बाद यानी शव्वाल का महीना शरू होने के साथ ईद मनाई जाती है, इसलिए दुनियाभर में इसकी तारीख अलग-अलग होती है.