Diwali 2020: अगर मौसम में शीतलता के अहसास के साथ सड़कें रंग-बिरंगे लाइटों से सजी दिखती हैं, स्वादिष्ट और जायकेदार मिठाइयों से दुकानें लबरेज हों, और हर ओर अद्भुत उपहारों के बीच इन्जॉय करता परिवार नजर आये तो समझ लीजिये कि आप कार्तिक मास के महापर्व दीपावली (Diwali) के आनंदमय माहौल का आनंद उठा रहे हैं. देश भर में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहारों में से एक है दीपावली. यह मूलतः भावनाओं का पर्व है. दीपावली से दो दिन पहले संपूर्ण भारत में धनतेरस पूरे उत्साह एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है. यद्यपि इस बार चार दिन की दीपावली होने के कारण धनतेरस दीपावली के एक दिन पूर्व पड़ रहा है.
धनतेरस (Dhanteras) पर मिट्टी अथवा धातु के लक्ष्मी-गणेश (Goddess Lakshmi-Lord Ganesha) की मूर्तियां खरीदकर लायी जाती हैं, और शाम के समय उनकी पूरे पारंपरिक तरीके से पूजा की जाती है. 'धनतेरस पूजा' जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि धन और समृद्धि हेतु लक्ष्मी को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है. धनतेरस के कुछ व्यंजनों की खासियत यह है कि यह सौभाग्य के प्रतीक के रूप में तैयार किए जाते हैं, क्योंकि मान्यता है कि प्रसाद स्वरूप ये व्यंजन माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय हैं.
उत्तर एवं पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में शाम के समय साबूत गेहूं का हलवा बनाकर मां लक्ष्मी को प्रसाद स्वरूप चढ़ाया जाता है. यह स्वादिष्ट हलवा मक्खन और दूध के साथ पकाकर बनाया जाता है. देश के कुछ भागों में दरदरा पिसा हुआ गेहूं, शुद्ध घी एवं शक्कर के साथ मिलाकर लाप्सी भी बनाई जाने की परंपरा है. दीर्घायु का प्रतीक स्वरूप यह प्रसाद समस्त भारत में बहुत लोकप्रिय है.
महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में सूखी धनिया में गुड़ मिलाकर माता लक्ष्मी को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं, और शाम के समय शहद, दूध, घी, चीनी और दही से बने पंचामृत का भोग भी लक्ष्मी जी को चढ़ाते हैं, बाद में इसे अन्य श्रद्धालुओं को पिलाया जाता है. धनतेरस के ही दिन भगवान श्रीगणेश की मनपसंद बूंदी का लड्डू भी चढ़ाया जाता है. इसी दिन चावल, दूध और गुड़ से बनी बखीर भी इस दिन चढ़ाई जाती है. ये सभी व्यंजन स्वादिष्ट होने के साथ-साथ लकी भी माने जाते हैं.