Dhanteras 2023 Muhurat: पांच दिवसीय दिवाली के बस कुछ दिन शेष है, कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाए जाने वाले इस महापर्व की शुरूआत धनतेरस पर्व से होती है. इस दिन घर में शुभता एवं सम्पन्नता लाने के दृष्टिकोण से नए बर्तन, सोना, चांदी तथा अन्य कीमती चीजें खरीदने की पुरानी परंपरा है. इसके साथ ही इसी दिन भगवान धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा भी की जाती है. इस वर्ष 10 नवंबर 2023, शुक्रवार को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा. आइये जानते हैं, इस पर्व का महात्म्य, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि के बारे में विस्तार से...
धनतेरस 2023 की मूल तिथि एवं पूजा का शुभ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी प्रारंभः 12.35 PM 07.44 PM (10 नवंबर 2023, शुक्रवार)
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी समाप्तः 01.57 PM 07.44 PM (11 नवंबर 2023, शनिवार)
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्तः 05.48 PM से 07.44 PM (10 नवंबर 2023, शुक्रवार)
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में सोना चांदी खरीदना केवल शुभ ही नहीं लाभदायक भी माना जाता है. अगर आप भी सोना अथवा चांदी खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो नीचे दिये शुभ मुहूर्त के अनुसार स्वर्णाभूषण की खरीदारी करें, ताकि आपको इसका अक्षय लाभ प्राप्त हो.
सोना-चांदी खरीदने का शुभ मुहूर्तः 02.35 PM से (10 नवंबर 2023) से 01.57 PM (11 नवंबर 2023) तक
मान्यतानुसार धनतेरस पर अगर सोना चांदी या कोई कीमती वस्तु नहीं खरीद पा रहे हैं, तो साबुत धनिया जरूर खरीदें.
धन्वंतरि पूजा का महत्व
धनतेरस सुख-समृद्धि एवं सेहत से जुड़ा पर्व है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार देव-दानव के बीच हुए समुद्र-मंथन से कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी में आयुर्वेद के पितामह धन्वंतरि एवं धन के देवता कुबेर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि एवं भगवान कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इन देवों की पूजा करने से जातक को पूरे वर्ष धन और सेहत की समस्या नहीं रहती. मान्यतानुसार धन्वंतरि जब प्रकट हुए थे, उनके हाथ में अमृत-कलश था, इसलिए इस दिन सोना-चांदी एवं बर्तन खरीदने की परंपरा है. इस दिन प्रदोष काल में मृत्यु के देवता यमराज को दीप-दान किया जाता है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है.
धनतेरस की पूजा-विधि
धनतेरस पर मुहूर्त के अनुसार देवी लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें एवं देवी लक्ष्मी, धन्वंतरि एवं कुबेर का ध्यान कर उनकी पूजा का संकल्प लें और अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करें. अब शुभ मुहूर्त पर पूजा प्रारंभ करने से पूर्व ईशान कोण में एक स्वच्छ चौकी रखें और इस पर लाल आसन बिछाएं. इस पर गंगाजल छिड़कें एवं माता लक्ष्मी, कुबेर एवं धन्वंतरि की तस्वीर रखें. धूप दीप प्रज्वलित कर सभी देवताओं को रोली का तिलक लगाकर पुष्प एवं पुष्प हार अर्पित करें और निम्न तीनों देव-देवी का मंत्र का जाप करें.
ॐ महालक्ष्म्यै नमो नम:
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवा य धन्वंतराये:
सफेद मिठाई एवं पीले मिठाई का भोग लगाएं. पूजा का समापन तीनों देव की आरती उतार कर करें.