Chitragupta Puja 2019: यमराज के सहायक चित्रगुप्त की जयंती आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, आरती, मंत्र और इसका महत्व
हैप्पी चित्रगुप्त पूजा 2019 (Photo Credits: File Image)

Happy Chitragupta Puja 2019: पांच दिवसीय दिवाली उत्सव (Diwali) के आखिरी दिन भाई दूज (Bhai Dooj) का त्योहार मनाया जाता है, जिसे यम द्वितीया (Yam Dwitiya) के नाम से भी जाना जाता है. भाई दूज के दिन ही मृत्यु के देवता यमराज (Yamraj) के सहायक चित्रगुप्त (Chitragupta) की भी पूजा की जाती है, जिसे चित्रगुप्त जयंती (Chitragupta Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है. हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज के साथ चित्रगुप्त पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन कलम-दवात की पूजा की जाती है और व्यापारी या कारोबारी वर्ग के लोग इसे नववर्ष प्रारंभ के तौर पर भी देखते हैं. मान्यता है कि इस दिन कायस्थ समाज के सभी सदस्य कागज पर कलम से अपनी सालाना आय लिखकर एक मंत्र के साथ उस कागज को चित्रगुप्त जी की प्रतिमा के सामने रख देते हैं.

इस दिन भगवान चित्रगुप्त की विधि-विधान से पूजा की जाती है और आरती व विशेष प्रसाद के साथ यह पूजा संपन्न की जाती है. चलिए चित्रगुप्त पूजा के इस खास अवसर पर जानते हैं चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, आरती और इसका महत्व.

चित्रगुप्त पूजा शुभ मुहूर्त-

तिथि- 29 अक्टूबर 2019, मंगलवार.

द्वितीया तिथि प्रारंभ- 29 अक्टूबर 2019, सुबह 06.15 बजे से,

द्वितीया तिथि समाप्त- 30 अक्टूबर 2019, सुबह 03.50 बजे तक.

पूजा का मुहूर्त- दोपहर 03.15 बजे से शाम 04.56 बजे तक.

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11.15 बजे से दोपहर 12.17 बजे तक. यह भी पढ़ें: Happy Chitragupta Puja 2019 Wishes & HD Photos: दिवाली उत्सव के आखिरी दिन होती है चित्रगुप्त पूजा, भेजें ये हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, GIF Images, Wallpapers और दें प्रियजनों को शुभकामनाएं

चित्रगुप्त पूजा विधि-

भाई दूज यानी यम द्वितीया के दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थल पर पूर्व दिशा में एक चौकी स्थापित करें. इसके बाद उस पर चित्रगुप्त भगवान की तस्वीर रखें. अगर उनकी तस्वीर नहीं है तो कलश को उनका प्रतीक मानकर स्थापित करें. इसके बाद विधि पूर्वक पुष्प, अक्षत, धूप, मिठाई, फल, पंचामृत, पान-सुपारी इत्यादि पूजन सामग्री से भगवान गणेश और चित्रगुप्त जी का पूजन करें. पूजन के दौरान चित्रगुप्त जी को एक नई लेखनी या कलम जरूर अर्पित करें. फिर कलम-दवात की पूजा करें. एक कागज पर श्रीगणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नम: लिखकर उनकी प्रतिमा के पास रखें. इसके बाद परिवार के सभी सदस्य विधि-विधान से पूजा करने के बाद उनकी आरती करें.

इस मंत्र से करें पूजन-

मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम् ! महीतले .लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते ..चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकं .कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नामोअस्तुते

भगवान चित्रगुप्त की आरती-

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चित्रगुप्त पूजा का महत्व-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चित्रगुप्त भगवान ब्रह्मा के सत्रहवें और आखिरी मानस पुत्र हैं. ब्रह्मा जी की काया से उनकी उत्पत्ति हुई थी, इसलिए उन्हें कायस्थ भी कहते हैं. चित्रगुप्त जी का विवाह सूर्य की पुत्री यमी यानी यमुना से हुआ था, इसलिए वे यमराज सहायक होने के साथ-साथ उनके बहनोई भी हैं. भगवान ब्रह्मा ने चित्रगुप्त महाराज को इसलिए उत्पन्न किया था, ताकि वे इस संसार के सभी जीवों का हिसाब-किताब रख सके और सभी प्राणियों के अच्छे और बुरे कार्यों के हिसाब से ही संसार का संचालन सही तरीके से किया जा सके.