Chhath Puja 2019 Date: पांच दिवसीय दिवाली उत्सव (Diwali) के बाद अब लोग छठ पूजा (Chhath Puja) की तैयारियों में जुट गए हैं. हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में शामिल छठ पूजा का पर्व करीब चार दिन तक मनाया जाता है, जिसे डाला छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी जैसे कई नामों से जाना जाता है. हर साल दिवाली के बाद कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ चार दिवसीय छठ पर्व की शुरूआत हो जाती है, जिसका समापन सुबह के अर्घ्य के बाद सप्तमी तिथि को होता है. मान्यता है कि छठी मैया (Chhathi Maiyya) सूर्य देव (Surya Dev) की बहन हैं और छठ पर्व में सूर्य देव की उपासना से छठी मैया प्रसन्न होती हैं और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह पर्व साल में दो बार चैत्र शुक्ल षष्ठी और दूसरा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है, लेकिन कार्तिक महीने के छठ का विशेष महत्व है.
नहाय-खाय के दिन व्रती शुद्ध और सात्विक भोजन करते हैं. इसके बाद पंचमी तिथि को खरना का विधान होता है, जिसमें व्रती पूरे दिन निराहार रहते हैं और गुड़ वाली खीर का सेवन किया जाता है. षष्ठी तिथि को पूरे दिन और पूरी रात निर्जल व्रत रखा जाता है. इस दौरान शाम के समय किसी पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, फिर सप्तमी तिथि के दिन भी सुबह किसी नदी या तालाब में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान भक्त अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य देव और छठी मैया से प्रार्थना करते हैं.
छठ पूजा पर्व की तिथियां-
नहाय- खाय- (31 अक्टूबर 2019, गुरुवार, चतुर्थी तिथि)
खरना- (1 नवंबर 2019, शुक्रवार, पंचमी तिथि)
संध्या अर्घ्य- (2 नवंबर 2019, शनिवार, षष्ठी तिथि)
ऊषा अर्घ्य- ( 3 नवंबीर 2019, रविवार, सप्तमी तिथि)
छठ पूजा का शुभ मुहूर्त-
षष्ठी तिथि आरंभ- 2 नवंबर 2019 (00.51 बजे से)
षष्ठी तिथि समाप्त- 3 नवंबर 2019 (01.31 बजे तक)
संध्या अर्घ्य- सूर्यास्त का समय शाम 17:35 बजे.
ऊषा अर्घ्य- सूर्योदय का समय सुबह 06:33 बजे. यह भी पढ़ें: Chhath Puja 2019 Date: छठ पूजा कब है? जानें नहाय-खाय, खरना, संध्या व उषा अर्घ्य की तिथि, छठ मैया और सूर्य देव की उपासना का महत्व
छठ पूजा का महत्व-
संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए छठ पर्व का बड़ा महत्व है. कहा जाता है इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम सूर्यवंशी थे, इसलिए जब वे लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो उन्होंने अपनी पत्नी सीता के साथ अपने कुलदेवता सूर्य देव के लिए षष्ठी तिथि पर व्रत किया. उन्होंने षष्ठी तिथि को सरयू नदी में डूबते हुए सूर्य और सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया था. इसके बाद से छठ पूजा की परंपरा शुरू हुई, जिसे हर साल धूमधाम से मनाया जाने लगा. खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई वाले क्षेत्रों में छठ पूजा की अनूठी छठा देखने को मिलती है. सूर्य देव की उपासना का यह पर्व सुख, शांति, आरोग्य और संतान सुख जैसी समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाला त्योहार है.