Chaitra Amavasya 2019: हिंदू धर्म में चैत्र महीने (Chaitra) का विशेष महत्व बताया जाता है. चैत्र महीने को हिंदू धर्म में नव वर्ष का पहला महीना माना जाता है. इसके अलावा चैत्र महीने में पड़ने वाली अमावस्या (Amavasya) को भी बेहद खास माना जाता है. दरअसल, अमावस्या तिथि को स्नान, दान, धर्म-कर्म, पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध करने का भी विधान है. यूं तो अमावस्या पृथ्वी के चक्र में होने वाली एक सामान्य घटना है, लेकिन विभिन्न मान्यताओं के अनुसार लोग इसे शुभ और अशुभ से भी जोड़कर देखते हैं. इस साल चैत्र महीने की अमावस्या (Chaitra Amavasya) तिथि 5 अप्रैल 2019 को पड़ रही है.
आमतौर पर अमावस्या तिथि को किसी भी शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन आध्यात्मिक रूप से इस तिथि को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण, दान, हवन, यज्ञ इत्यादि करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है. यही वजह है किअमावस्या को स्नान-दान की अमावस्या कहा जाता है. चलिए जानते हैं चैत्र महीने की अमावस्या का महत्व.
चैत्र अमावस्या का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को चैत्र अमावस्या के नाम से जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है. पितृ तर्पण करने के लिए नदी में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करना चाहिए. इसके बाद किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए.
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अमावस्या के दिन पितर अपने वंशजों से मिलने जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर पवित्र नदी में स्नान, दान व पितरों को भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं. यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2019: चैत्र नवरात्रि में पूरे विधि-विधान से करें मां दुर्गा की पूजा, जानिए क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
चैत्र अमावस्या तिथि और मुहूर्त
चैत्र अमावस्या 5 अप्रैल 2019 शुक्रवार को है.
अमावस्या तिथि आरंभ- 4 अप्रैल 2019, गुरुवार दोपहर 12 बजकर 52 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त- 5 अप्रैल 2019, शुक्रवार दोपहर 02 बजकर 21 मिनट तक.
गौरतलब है कि पितरों की शांति और उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए अमावस्या का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. खासकर चैत्र अमावस्या के दिन व्रत रखने, स्नान-दान करने और गरीबों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है. इस दिन पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करना चाहिए और उसके नीचे एक दीपक जलाना चाहिए.