Chaiti Chhath Puja 2023 Wishes in Hindi: कार्तिक मास (Kartik Month) में छठ पूजा (Chhath Puja) के पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है, जबकि इसका समापन कार्तिक शुक्ल की सप्तमी को होता है. कार्तिक के अलावा चैत्र मास में भी छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है, जिसे चैती छठ पूजा (Chaiti Chhath Puja) के नाम से जाना जाता है. दरअसल, चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के दौरान चैती छठ पूजा का पर्व चैत्र शुक्ल चतुर्थी से चैत्र शुक्ल सप्तमी तक मनाया जाता है. इस साल 25 मार्च से नहाय-खाय (Nahay-Khay) के साथ चैती छठ की शुरुआत हो चुकी हैं और 26 मार्च को खरना (Kharna) के बाद 27 मार्च को भक्त शाम के समय नदी के पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देगें, फिर 28 मार्च को ऊषा अर्घ्य के साथ इस पर्व का समापन हो जाएगा.
चैती छठ की सबसे खास बात यह है कि इसका मुख्य पर्व नवरात्रि के छठे दिन मनाया जाता है और इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से बल, आरोग्य, सुख-समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है. इस अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपनों को चैती छठ की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
सामना न हो कभी तन्हाइयों से,
हर अरमान हर ख्वाब पूरा हो आपका,
यही दुआ है दिल की गहराइयों से.
चैती छठ पूजा की शुभकामनाएं
2- छठ पूजा के महापर्व पर,
छठ मां की जय हो,
धन और समृद्धि से भरा रहे घर,
हर कार्य में आपकी विजय हो.
चैती छठ पूजा की शुभकामनाएं
3- जो है जगत के पालनहार,
सात घोड़ों की है जिनकी सवारी,
न कभी रुके, न कभी देर करे,
ऐसे हैं हमारे सूर्यदेव, आओ मिलकर उनकी पूजा करें.
चैती छठ पूजा की शुभकामनाएं
4- छठ पूजा बनकर आए उजाला,
खुल जाए आपकी किस्मत का ताला,
हमेशा आप पर रहे मेहरबान ऊपर वाला,
यही दुआ करता है आपका ये चाहने वाला.
चैती छठ पूजा की शुभकामनाएं
5- इस छठ पूजा में आपको प्यार मिले,
सारे जहां की खुशी मिले,
संसार की बादशाहत मिले,
जमीं के साथ आसमां की.
चैती छठ पूजा की शुभकामनाएं
छठ पूजा से जुड़ी मान्यता के अनुसार, चैती छठ पूजा की शुरुआत भगवान राम ने की थी. कहा जाता है कि जब उनका राज्याभिषेक हुआ था, तब उन्होंने माता सीता के साथ अपने कुलदेवता भगवान सूर्यदेव की पूजा की थी. भगवान राम ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सरयू नदी में जाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया था, तब से छठ पूजा की यह परंपरा चली आ रही है.