Buddha Purnima 2019: बुद्ध पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का है विशेष महत्व, जानें कैसे इस दिन मिली थी श्रीकृष्ण के मित्र सुदामा को दरिद्रता से मुक्ति

बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ बड़ी ही सादगी से मनाया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन यानी वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने गौतम बुद्ध के रूप में अवतार लिया था और इसी दिन सत्य विनायक का महत्वपूर्ण व्रत भी किया जाता है

बुद्ध जयंती 2019 (Photo Credits: Pixabay)

Buddha Jayanti 2019: ‘शांति के मसीहा’ गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) की जंयती यानी बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का पर्व हर्षोल्लास के साथ बड़ी ही सादगी से मनाया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार,  इसी दिन यानी वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने गौतम बुद्ध के रूप में अवतार लिया था और इसी दिन सत्य विनायक (Satya Vinayaka) का महत्वपूर्ण व्रत भी किया जाता है जो इस दिन को और भी खास बनाता है. इसके साथ-साथ इसी दिन सूर्य अपनी सर्वोच्च राशि मेष में विराजमान होते हैं, इसलिए इस दिन गंगा स्नान एवं दान का भी महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. आइए देखें बुद्ध पुर्णिमा के दिन हम किन-किन माध्यमों से पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं.

बुद्ध पूर्णिमा के समारोह व पूजा विधि

यहां हम सर्वप्रथम बुद्ध पूर्णिमा पर बात करेंगे. बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा साल का सबसे बड़ा पर्व होता है. देश के विभिन्न हिस्सों में इस दिन तमाम तरह के समारोह आयोजित किए जाते हैं. विभिन्न क्षेत्रों में इस पर्व को लोग अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुरूप मनाते हैं. इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाये जाते हैं और घरों को फूलों से सजाया जाता है. दुनिया भर के बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन बोध गया पहुंचकर प्रार्थनाएं करते हैं. यह भी पढ़ें: Buddha Purnima 2019: जब एक वेश्या बनी गौतम बुद्ध की अनुयायी, जानिए नगरवधु आम्रपाली से भिक्षुणी बनने की यह रोचक कहानी

कहीं-कहीं बौद्ध धर्म के धर्म ग्रंथों का पाठ भी किया जाता है. मंदिरों व घरों में अगरबत्ती जलाई जाती है और भगवान बुद्ध की प्रतिमा के सामने फल-फूल आदि चढाए जाते हैं. इस दिन बोधि वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है. उनकी शाखाओं पर विद्युत लड़ियां, पुष्प की मालाएं चढ़ाई जाती हैं. इनकी जड़ों में सुगंधित पानी चढ़ाया जाता है. बहुत सारी जगहों पर आज के दिन पक्षियों को पिंजरों से मुक्त कर खुले आकाश में भी छोड़ा जाता है तथा गरीबों को भोजन एवं वस्त्र दान दिए जाते हैं.

भारत में इस पर्व को बौद्ध धर्म से जुड़े लोग ही नहीं बल्कि, हिंदू धर्म के लोग भी बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार,  बुद्ध भगवान विष्णु के 9वें अवतार माने जाते हैं, इसलिए यह पर्व हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए भी कम महत्वपूर्ण नहीं है.

वैशाख पूर्णिमा का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हर वर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन पड़ता है. वस्तुतः इस एक दिन में हमें कई पर्वों की खुशियां प्राप्त होती हैं. इस दिन बुद्ध भगवान की जयंती भी मनाई जाती है और इसे निर्वाण दिवस के रूप में भी सेलिब्रेट किया जाता है यानी इसी दिन भगवान बुद्ध को बौद्ध ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी. चूंकि यह पर्व वैशाख पूर्णिमा के दिन होता है, इसलिए बहुत-सी जगहों पर इसे वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी पुकारा और मनाया जाता है.

कई पर्वों का दिन और उनकी मान्यताएं

आज का दिन हिंदू संप्रदाय के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है. बहुसंख्य हिंदू समाज बुद्ध पूर्णिमा के साथ ही सत्य विनायक का व्रत भी रखता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से दरिद्रता दूर होती है और भक्तों पर लक्ष्मी जी की विशेष कृपा होती है. प्रचलित पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक दिन श्री कृष्ण के बचपन के सखा सुदामा आर्थिक संकट की त्रासदी झेलते हुए अपने धनी मित्र श्रीकृष्ण से मिलने उनके राजमहल जा पहुंचे. बचपन के सखा को इतनी बुरी अवस्था में देखकर श्रीकृष्ण बहुत रोये थे. उन्होंने सुदामा को बहुत सारा स्वर्ण आभूषण आदि उपहार तो दिया ही साथ ही उनकी दरिद्रता को हमेशा के लिए दूर करने हेतु सत्य विनायक के व्रत का महत्व बताते हुए उसे करने का विधान भी बताया. कहते हैं कि सुदामा और उनकी पत्नी दोनों ने सत्य विनायक का विधिवत व्रत एवं अनुष्ठान किया, जिसकी वजह से उनकी गरीबी हमेशा के लिए खत्म हो गयी थी. यह भी पढ़ें: Buddha Purnima 2019: राजकुमार सिद्धार्थ कैसे बने भगवान बुद्ध, जानिए इससे जुड़ी रोचक गाथा

इसी दिन धर्मराज की पूजा का भी विधान है. कहते हैं कि सत्य विनायक व्रत से धर्मराज बहुत खुश होते हैं. धर्मराज जो कि मृत्यु के देवता हैं इसलिए उन्हें प्रसन्‍न करने वाले भक्त को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है.

स्नान-दान का विशेष महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की पूर्णिमा भगवान विष्णु का होता है. लिहाजा इस दिन स्नान और दान का बहुत महत्व होता है. इस दिन हिंदू धर्म के लोग अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए पावन गंगा की धारा में डुबकियां लगाते हैं. वैशाख पूर्णिमा के बारे में कहा जाता है कि इस माह होने वाली पूर्णिमा को सूर्य अपनी सर्वोच्च राशि यानि मेष में विराजमान होता है. साथ ही चंद्रमा भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है. इसलिए मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान कर कई जन्मों के पापों से मुक्ति पाई जा सकती है. इसके साथ ही गंगा स्नान के बाद ब्राह्मण अथाव गरीबों को दान देने का भी विधान है.

Share Now

\