प्रकृति के अनुपम सौंदर्य का जीता-जागता मिसाल है पूर्वी भारत स्थित असम. यह महज प्रदेश ही नहीं, बल्कि सौंदर्य, प्रेम और खूबसूरत संस्कृतियों का संगम है. इन्हीं संगम में रचा-बसा एक लोकप्रिय पर्व है, बिहु. बिहु असम के बड़े पर्वों में एक है बिहु, जिस दिन देश भर में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. वस्तुतः तीन फसलों (रबी, खरीफ और जायद) के प्रतीक स्वरूप तीन विभिन्न माहों में मनाया जाता है. बिहु पर्व कब और क्यों शुरू हुआ, इसकी स्पष्ट वजह किसी को पता नहीं है, किंतु स्थानीय लोग इसे फसली पर्व मानते हैं, क्योंकि साल की सभी तीनों फसलों (रवि, खरीफ और जायद) के साथ किसी न किसी रूप में बिहु से जुड़ा है. यह भी पढ़ें: Bhaum Pradosh Vrat 2024: कब है साल का पहला भौम प्रदोष व्रत? जानें इसका महात्म्य, मुहूर्त, पूजा-विधि एवं अभीष्ठ लाभ के कुछ उपाय!
भोगाली बिहु
माघ माह की संक्रांति के पहले दिन से बिहु की शुरुआत होती है, माघ में पड़ने के कारण इसे माघ बिहु कहते हैं, चूंकि इस दिन नई फसल तिल, चावल, नारियल और गन्ने की ताजी फसल पककर आती है, तो गांव के लोग किसी एक स्थान पर इन पकी फसलों से तरह-तरह के व्यंजन तैयार करवाकर सामूहिक रूप से भोजन (भोग) करते हैं, इसलिए यह भोगाली बिहु के नाम से भी जाना जाता है. भोगाली बिहु दो दिन तक मनाया जाता है. माघ बिहु अथवा भोगाली बिहु को उरुका भी कहा जाता है. इसी रात गांव के लोग खेती की जमीन पर बांस और पुआल की मदद से मेजी बनाते हैं. अगले दिन सूर्योदय होने पर लोग नदी या तालाब में स्नान करते हैं. मेजी को जलाकर उसकी लोग जलते हुए मेजी की परिक्रमा करते हैं, अपने तथा अपने गांव की खुशहाली के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं.
वैशाख बिहु
वस्तुतः असम कैलेंडर में वैशाख मास की संक्रांति से साल की शुरुआत होती है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अमूमन अप्रैल माह के मध्य में पड़ता है. इसी दिन से बैसाख बिहू शुरू होता है, जो करीब सात दिनों तक भिन्न-भिन्न रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है. इसे बोहाग बिहु, रोंगाली बिहु या हतबिहु भी कहते हैं. इस वर्ष बैसाख बिहू 13 अप्रैल 2024 से शुरू हो जाएगा. एक सप्ताह तक चलने वाले बैसाख बिहू के पहले दिन गाय की पूजा होती है. बता दें कि इसी दिन से घरों में विवाह के मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है.
काटी बिहु
काटी बिहू को कोंगाली बिहू भी कहते हैं. काटी बिहु हर साल अक्टूबर माह में पड़ता है. वस्तुतः इस माह तक आते-आते घरों में रखा अनाज लगभग खत्म हो जाता है, इसलिए असम के लोग इस दिन अनाज भंडार, तुलसी, और धान के खेत के पास मिट्टी का दीया जलाते हैं. काटी बिहु थोड़ा गंभीरता और विचार विमर्श करने वाला पर्व है, जब घर में रखा अनाज खत्म होने लगता है, तब लोग अपने देवता से प्रार्थना करते हुए अच्छी फसल होने की कामना करते हैं. इस दिन मुख्य रूप से माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस वर्ष यह पर्व 17 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा.