Bakra Eid Mehndi Design: ईद-उल-अज़हा पर हथेलियों में रचाएं ये मंडाला और ट्रेडिशनल मेहंदी डिजाइन, देखें पैटर्न
बकरीद मेहंदी डिजाइन (Photo: Creative_Mehndi_Art|Insta)

Bakra Eid Mehndi Design: ईद-उल-अज़हा (Eid-ul-Azha) या बकरीद (Bakra Eid) दुनिया भर में मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय मुस्लिम त्योहारों में से एक है. यह पैगंबर इब्राहिम (अब्राहम) के बलिदानों की याद दिलाता है, जो भगवान के आदेश पर अपने पहले जन्मे बच्चे की बलि देने के लिए भी तैयार थे और बाद में अल्लाह के निर्देशानुसार एक भेड़ की बलि दी. इस दिन बकरी, भेड़ या ऊँट जैसे जानवरों की बलि दी जाती है. यह दावत और दोस्तों और परिवार के साथ मनाने का दिन है. यह त्यौहार हज यात्रा के बाद मनाया जाता है. बकरीद के त्यौहार की उत्पत्ति इस्लामी परंपराओं में वर्णित है. पैगम्बर इब्राहीम को ईश्वर ने निर्देश दिया था कि वे अपनी मिस्र की पत्नी हजर और अपने बेटे इस्माइल को सऊदी अरब के रेगिस्तान में ले जाएं और उन्हें वहीं छोड़ दें. अल्लाह के हस्तक्षेप से यहां एक कुआं प्रकट हुआ जिसने हजर और उसके बेटे को जीवित रहने में मदद की. बाद में इब्राहीम यहां वापस आए और अल्लाह के वचन का प्रचार किया. यह भी पढ़ें: Bakri Eid Mehndi Design: बकरीद पर लगाएं ये फ्रंट हैंड, बैक हैंड और फुल हैंड मेहंदी पैटर्न, देखें वीडियो

उनकी परीक्षा लेने के लिए, ईश्वर ने उन्हें बार-बार सपनों में अपने इकलौते बेटे इस्माइल की बलि देने का आदेश दिया. जब इब्राहीम ने इस्माइल से पूछा तो वह अल्लाह की इच्छा के आगे झुकने के लिए तैयार था. शैतान ने उनका ध्यान भटकाने की कोशिश की, लेकिन इस्माइल ने पत्थर फेंककर उसे भगा दिया. अंत में जब इब्राहीम ने अपने बेटे का गला काटने की कोशिश की, तो अल्लाह ने उसे बचा लिया गया और उसकी जगह एक मेढ़े की बलि दी गई. बलिदान के इस दिन और अलाह की दया को याद करने के लिए, ईद-अल-अधा जानवरों की बलि के साथ मनाया जाता है.

इस दिन महिलाएं सजती- संवरती हैं हाथों में मेहंदी लगाती हैं. बारिद पर आगर आपनी लेटेस्ट मेहंदी डिजाइन की तलाश में हैं तो हम ले आये कुछ मेहंदी डिजाइन जिन्हें आप अपने हाथों में रचा सकते हैं.

बकरीद मेहंदी डिजाइन

मंडाला मेहंदी डिजाइन

सिंपल फिंगर मेहंदी डिजाइन

सिंपल बैक हैंड मेहंदी डिजाइन

ईद स्पेशल मेहंदी डिजाइन

बैक हैंड मेहंदी डिजाइन

फ्लावर और मंडाला मेहंदी डिजाइन

बकरीद का सही नाम ईद-अल-अज़हा है. चूँकि इस त्यौहार पर बकरों की बलि दी जाती है, इसलिए इसे बकरीद कहते हैं. इसे कुर्बानी भी कहते हैं जिसका मतलब होता है बलिदान. बकरीद इस्लामी पवित्र तीर्थयात्रा या हज के महीने के अंत में मनाई जाती है. यह चंद्र इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने यानी जुल-हुग्ग की दसवीं तारीख को पड़ती है.

दिन की शुरुआत लोग नए कपड़े पहनकर मस्जिद जाते हैं. मस्जिद में वे सभी की शांति और समृद्धि के लिए दुआ या इबादत करते हैं.

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