Bada Mangal 2025: कब से शुरू हो रहा है बड़ा मंगल? जानें इसका महत्व एवं इससे जुड़ा मुगलों के नवाब का रोचक कनेक्शन!
बजरंगबली हनुमान (Photo: Pixabay)

Bada Mangal 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के सभी मंगलवारों का विशेष धार्मिक महत्व रखता है. विशेष रूप से उत्तर एवं मध्य भारत में इन मंगलवार को विशेष रूप से सेलिब्रेट किया जाता है. बहुत-सी जगहों पर इसे ‘बड़का मंगल’ अथवा ‘बुढ़वा मंगल’ भी कहा जाता है. इस दिन पूरे शहर में हनुमान जी की पूजा-अर्चना की जाती है, धार्मिक रैलियां एवं चौकियां निकाली जाती हैं, जगह-जगह भंडारा खोले जाते हैं. इस वर्ष 13 मई 2025 से 10 जून 2025 के बीच पांच बड़ा मंगलवार पड़ रहे हैं. आइये जानें बड़ा मंगल के महत्व, पूजा-अनुष्ठान एवं ज्येष्ठ मास के मंगलवार से जुड़े मुगल शासक के रोचक संबधों के बारे में. यह भी पढ़ें: Sita Navami 2025 Messages: शुभ सीता नवमी! दोस्तों-रिश्तेदारों संग शेयर करें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes और Facebook Greetings

ज्येष्ठ माह 2025 में पड़ने वाला ‘बड़ा मंगल’

इस साल 2025 के ज्येष्ठ माह में कुल पांच मंगलवार पड़ेंगे, ये सभी मंगलवार आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं. जानें कब-कब पड़ रहे हैं ये पांच मंगलवार.

13 मई, 2025 (पहला बड़ा मंगल)

20 मई, 2025 (दूसरा बड़ा मंगल)

27 मई, 2025 (तीसरा बड़ा मंगल)

02 जून, 2025 (चौथा बड़ा मंगल)

10 जून, 2025 (पांचवां बड़ा मंगल)

इन सभी मंगलवारों को शहर भर के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो प्रार्थना करते हैं, भंडारों का आयोजन करते हैं, और सभी को प्रसाद वितरित करते हैं.

आध्यात्मिक महत्व

हिंदू धर्म शास्त्रों में हनुमान जी को शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है, ज्येष्ठ मास के बड़े मंगल के दौरान उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. श्रद्धालु उनकी पूजा बुराई, नकारात्मक ऊर्जा और अकाल मृत्यु से बचाने वाले देवता के रूप में करते हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ मास के मंगलवारों को हनुमान जी की पूजा करने से मंगल और शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं. इस दिन श्रद्धालु बजरंग बाण, सुंदरकांड अथवा हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. पूजा के अंत में हनुमान जी की आरती पढ़ी जाती है. मान्यता यह भी है कि बुढ़वा मंगल पर निम्न मंत्रों के जाप करने से शांति, खुशी और हनुमान जी का दिव्य आशीर्वाद मिलता है:

श्री हनुमंते नम:

इसके बाद भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है.

क्या है बड़ा मंगल का मुगल शासकों से कनेक्शन?

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार अवध (लखनऊ) के नवाब वाजिद अली शाह के शासनकाल में उनके छोटे नवाब बीमार पड़ गये. तमाम इलाज के बावजूद जब उसकी हालत बिगड़ती गई, तब उनके मित्र परिचितों ने नवाब की पत्नी को सलाह दिया कि अलीगंज स्थित हनुमान मंदिर में हनुमानजी से प्रार्थना करो. नवाब की निराश बेगम बच्चे को लेकर हनुमान मंदिर गई. पुजारी को सारी बातें बताई. पुजारी ने कहा बच्चें को यहीं छोड़कर जाओ. कल सुबह आना. अगले दिन सुबह-सवेरे जब नवाब एवं उनकी बेगम मंदिर पहुंची तो बच्चे को चहकते देख बहुत प्रसन्न हुईं. कहा जाता है कि वह ज्येष्ठ मास के मंगलवार का दिन था. कहा जाता है कि बेगम ने उस दिन हनुमान मंदिर में गुड़ का प्रसाद चढ़ाया और सार्वजनिक भंडारे का आयोजन किया. इसके बाद से ही ज्येष्ठ मंगल की परंपरा जड़ पकड़ती गई.

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