Ashadhi Ekadashi 2020 Wishes: आषाढ़ी एकादशी की दें शुभकामनाएं, भेजें ये आकर्षक हिंदी Facebook Messages, GIF Greetings, HD Photos, WhatsApp Status और वॉलपेपर्स
आषाढ़ी एकादशी 2020 (Photo Credits: File Image)

Ashadi Ekadashi 2020 Wishes: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) कहते हैं. इसके अलावा इस एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi), हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi) और पद्मनाभा एकादशी (Padmnabha Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस एकादशी से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के शयन काल का प्रारंभ हो जाता है और वे चार महीने के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं. आषाढ़ी एकादशी या देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ हो जाता है और इस दौरान विवाह, मुंडन संस्कार व गृह प्रवेश जैसे सभी मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं. आषाढ़ी एकादशी के चार महीने बाद देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं, जिसके बाद से मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं.

कोरोना संकट (Corona Crisis) के बीच आज देश में आषाढ़ी एकादशी या देवशयनी एकादशी मनाई जा रही है. इस खास अवसर पर आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों, सगे-संबंधियों को भगवान विष्णु के इन आकर्षक हिंदी फेसबुक मैसेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी फोटोज, वॉट्सऐप स्टेटस, वॉलपेपर्स, विशेज और इमेज के जरिए हैप्पी आषाढ़ी एकादशी (Happy Ashadhi Ekadashi) कह सकते हैं.

1- आषाढ़ी एकादशी 2020

आषाढ़ी एकादशी 2020 (Photo Credits: File Image)

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2- आषाढ़ी एकादशी 2020

आषाढ़ी एकादशी 2020 (Photo Credits: File Image)

3- आषाढ़ी एकादशी 2020

आषाढ़ी एकादशी 2020 (Photo Credits: File Image)

4- आषाढ़ी एकादशी 2020

आषाढ़ी एकादशी 2020 (Photo Credits: File Image)

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5- आषाढ़ी एकादशी 2020

आषाढ़ी एकादशी 2020 (Photo Credits: File Image)

आषाढ़ी एकादशी पर भगवान विष्णु के शयन से पहले उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन व्रत रखकर पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए. उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूले, पीला चंदन और पीली मिठाई और पीले फलों का भोग लगाना चाहिए. उनके पूजन में तुलसी दल का उपयोग बेहद आवश्यक है, वरना पूजन का पूरा फल नहीं मिलता है. इस दिन रात्रि में भगवान विष्णु का भजन और उनकी स्तुति करनी चाहिए. अगले दिन सूर्योदय के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करना चाहिए.