हिंदू पौराणिक ग्रंथों में कलयुग में सबसे बड़ा पुण्य-दान बताया गया है. ज्योतिष में दान के महत्व को ग्रहों के आधार पर बताया गया है. इस तरह हम कह सकते हैं कि दान का आध्यात्मिक और पौराणिक दोनों महत्व होते हैं. जहां तक अक्षय तृतीया की बात है तो कहा जाता है कि इस दिन दान करने वाले व्यक्ति को उन चीजों की कभी कमी नहीं रहती, जिस वस्तु विशेष का वे दान करते हैं. आइये जानें इस पर्व विशेष पर क्या-क्या दान देना श्रेयस्कर होता है. पुराणों के अनुसार इस दिन दान-धर्म करने वाले व्यक्ति को वैकुंठधाम में जगह मिलती है.
अक्षय तृतीया वैशाख मास में सूर्य की तपती धूप में पड़ता है, इसीलिए इस दिन गरीबों को शीतल जल, छाता, कलश, चावल, चना दूध दही आदि का दान का विधान है. अक्षय तृतीया का संक्षिप्त में यही आशय है कि इस दिन आप जो दान देते हैं, उससे आपके भंडारण पर कोई असर नहीं पड़ता, वह अक्षय ही रहता है. अर्थात जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं. इस दिन बद्रीनाथ को अक्षय चावल चढ़ाने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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अक्षय तृतीया के दिन जप, दान, होम तथा पित्तरों को श्राद्ध करने से अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है. मिट्टी या तांबे के दो घड़ों में स्वच्छ जल भरकर एक घड़े में अक्षत तथा दूसरे में तिल डालकर इन घड़ों को ब्रह्मा, विष्णु, शिवस्वरूप में ही पूजा करके ब्राह्मणों को दान करना चाहिए. कहते है कि ऐसा करने से हमारे पूर्वज तथा पितृ तृप्त होकर हमारी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
अक्षय तृतीया के दिन व्रत रखते हुए गरीबों को चावल, नमक, घी, फल, वस्त्र, मिष्ठान्न आदि का वितरण करना चाहिए. इस दिन गरीब और असहाय लोगों को भोजन अवश्य कराएं, पुण्य की प्राप्ति होगी.
अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन स्नान करके जौ का हवन, जौ का दान, एवं जौ का सत्तू को खाने से मनुष्य के सभी पापों का अंत होता है. कुछ जगहों पर अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति पर चंदन या इत्र का लेपन भी किया जाता है.- इस दिन खरबूजा और मटकी-दान का भी काफी महत्व है.
ज्योतिषियों का एक वर्ग मानता है कि अक्षय तृतीया पर जो लोग अपने सौभाग्य को दूसरों के साथ बांटते हैं, उन्हें ईश्वर की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है. इस दिन दिए गए दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इस दिन विशेष पर शिव-पार्वती अथवा लक्ष्मी विष्णु की पूजा करने के बाद यथाशक्ति दान देने से सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
जैसा कि सभी जानते हैं अक्षय तृतीया माता पार्वती की तिथि होती है, इसीलिए इस दिन सच्चे मन से माता पार्वती को ध्यान में रखकर पूजा अर्चना की जाये तो चिरकाल तक सुख एवं शांति बनी रहती है. इसके अलावा इस दिन बहुत से श्रद्धालु अपने संकट को दूर करने के लिए भी माता गौरी का आह्वान करके उनकी पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं.
अक्षय-तृतीया पर दान है प्रधान
विद्वानजन अक्षय तृतीया को दान-धर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन मानते हैं. उनके अनुसार इस दिन कुछ खास चीजों का देने से आपके जीवन में आने वाली सारी बाधायें खत्म हो जाती है, और आप ताउम्र सुखी और समृद्धिशाली जीवन जीते हैं. ईश्वर की आप पर विशेष अनुकंपा बरसती है. अक्षय तृतीया पर गऊ दान, भूमि दान, तिल दान, स्वर्ण दान, वस्त्र दान, धान्य दान, गुड़ दान, चांदी दान, नमक दान, शहद दान, मटकी दान आदि का विशेष महत्व है.
हमारे पौराणिक ग्रंथों में अक्षय तृतीया के दिन उपरोक्त दानों का विशेष महत्व बताया गया है. अगर आपने इस वर्ष जरूरतमंदों को कुछ दान दिया है तो अगली तृतीया आने से पूर्व आपको इस वर्ष किये दान का चमत्कार देखने को मिलेगा. आप स्वयं देखेंगे और महसूस करेंगे. आपके जीवन में सुख, शांति, प्रसन्नता, वैभव, स्नेह, पराक्रम, यश, सौभाग्य में आश्चर्यजनक वृद्धि होगी।