Ahoi Ashtami 2023 Messages: शुभ अहोई अष्टमी! इन हिंदी Photo SMS, GIF Greetings, WhatsApp Wishes, Quotes के जरिए दें बधाई
अहोई अष्टमी 2023 (Photo Credits: File Image)

Ahoi Ashtami 2023 Messages in Hindi: अपनी संतान की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति की कामना से आज (05 नवंबर 2023) महिलाओं ने अहोई अष्टमी का व्रत (Ahoi Ashtami Vrat) रखा है. दरअसल, हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान पर आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं. बच्चों की सभी संकटों से रक्षा, उनके खुशहाल जीवन और उनके उज्जवल भविष्य के लिए की कामना से महिलाएं इस व्रत को करती हैं. इस दिन माता पार्वती (Mata Parvati) के रूप अहोई माता (Ahoi Mata) की पूजा की जाती है. कहा तो यह भी जाता है कि अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के दिन व्रत कथा सुनने मात्र से संतान संबंधी हर कामना पूरी होती है. इस रात को तारों के दर्शन के बाद व्रत पूर्ण किया जाता है.

अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखकर महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती, अहोई माता और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करती हैं, फिर रात में तारों को देखने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी होता है. ऐसे में आप इस खास अवसर पर इन हिंदी मैसेजेस, फोटो एसएमएस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स के जरिए शुभ अहोई अष्टमी कह सकते हैं.

1- पल भर ही सही प्यारी मां को याद कीजिए,

होगी पूरी तमन्ना जरा आप फरियाद तो कीजिए.

शुभ अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी 2023 (Photo Credits: File Image)

2- शोहरत, समृद्धि की हो आप पर बौछार,

ऐसा आए अहोई अष्टमी का पावन त्योहार.

शुभ अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी 2023 (Photo Credits: File Image)

3- आपकी संतान पर बना रहे मां अहोई का आशीष,

आपके जीवन में आए खुशियों की बहार.

शुभ अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी 2023 (Photo Credits: File Image)

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4- अहोई अष्टमी का ये प्यारा त्योहार,

जीवन में लाए खुशियां अपार,

मां अहोई जी करें,

आपके घर सुख की बरसात.

शुभ अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी 2023 (Photo Credits: File Image)

5- अहोई अष्टमी का दिन है कितना खास,

जिसमें पुत्रों के लिए होते हैं उपवास.

शुभ अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी 2023 (Photo Credits: File Image)

इस व्रत से जुड़ी कथा के अनुसार, प्राचीन काल में किसी नगर में एक साहूकार रहता था, जिसके सात पुत्र थे. दीवाली से पहले साहूकार की पत्नी रंगाई के लिए खदान से मिट्टी लेने गई, जहां गलती से उसके हाथों सेह का एक बच्चा मारा गया. अपने हाथों से सेह के बच्चे की हत्या होने पर साहूकार की पत्नी को बहुत दुख हुआ और वो पश्चाताप करते हुए घर वापस आई. कुछ समय बाद साहूकार के पहले बेटे की मृत्यु हो गई, फिर दूसरे की और इसी तरह से उसके सातों बेटों का निधन हो गया.

एक दिन रोते-रोते उसने अपने पड़ोस की महिलाओं को बताया कि खदान से मिट्टी खोदते समय गलती से उसके हाथों से सेह के बच्चे की मृत्यु हो गई थी. साहूकार की पत्नी की बात सुनकर पड़ोस की महिलाओं ने कहा कि पश्चाताप से तो तुम्हारा आधा पाप खत्म हो गया है, अब तुम कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को सेह और सेह के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी पूजा करो और क्षमा याचना करो. साहूकार की पत्नी ने ऐसा ही किया और हर साल वो नियमित रूप से पूजा व क्षमा याचना करने लगी. इस व्रत के प्रभाव से उसे सात पुत्रों की प्राप्ति हुई. कहा जाता है कि तब से अहोई अष्टमी व्रत की परंपरा निभाई जा रही है.