हर वर्ष 15 सितंबर को इंजीनियर दिवस मनाया जाता है. वस्तुतः यह दिवस सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती (15 सितंबर) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. विश्वेश्वरैया एक महान इंजीनियर, प्रशासक और राजनेता थे, जिन्हें जिन्हें ‘आधुनिक भारत का जनक’ माना जाता है. इस अवसर पर भारत भर के शैक्षणिक संस्थान, इंजीनियरिंग फ़ोरम और सरकारी संगठन तकनीकी नवाचार का जश्न मनाते हैं और सर विश्वेश्वरैया की चिरस्थायी विरासत को श्रद्धांजलि देते हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों को इंजीनियरिंग और राष्ट्र निर्माण में उत्कृष्टता प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है. आइये जानते हैं इस दिवस के महत्व, इतिहास एवं सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के देश हित में किये योगदान के बारे में..
इंजीनियर्स दिवस का इतिहास
भारत में सर्वप्रथम इंजीनियर्स दिवस 1960 में विश्वेश्वरैया की जन्मशती के 100वीं जयंती पर मनाया गया था, जब महान इंजीनियर विश्वेश्वरैया के इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विश्वेश्वरैया के योगदान के साथ-साथ आधुनिक भारत के विकास में उनकी भूमिका के सम्मान में भारत सरकार ने उनकी जयंती को इंजीनियर्स दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. यह भी पढ़ें : Solar Eclipse 2025: इस माह सूर्य ग्रहण कब लग रहा है और क्या विशेषता होगी इस ग्रहण की? क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण?
कौन हैं विश्वेश्वरैया?
विश्वेश्वरैया का जन्म कोलार (मैसूर) के निकट स्थित गांव चिक्काबल्लापुर में 15 सितंबर 1860 को मोक्षगुंडम श्रीनिवास शास्त्री एवं वेंकट लक्ष्मी के परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई बेंगलुरु और मद्रास विश्वविद्यालय विज्ञान की डिग्री प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की. इसके बाद कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग पुणे (तब बॉम्बे विश्वविद्यालय) में अध्ययन किया और इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर सिविल इंजीनियरिंग (डीसीए) में डिप्लोमा प्राप्त किया. यहीं पर उन्होंने डेक्कन क्लब की स्थापना में मदद की और इसके पहले सचिव बनें, जिनमें सर आरसी भंडारकर, गोपाल कृष्ण गोखले और न्यायमूर्ति महादेव गोविंद रानाडे शामिल थे, जिन्होंने क्लब शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
इंजीनियर दिवस (विश्वेश्वरैया जयंती) सेलिब्रेशन
* इस अवसर पर सर एम. विश्वेश्वरैया की प्रतिमाओं और स्मारकों पर श्रद्धांजलि समारोह और पुष्पांजलि अर्पित किये जाते हैं.
* इंजीनियरिंग कॉलेजों और व्यावसायिक संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन जिसमें मुख्य रूप से सेमिनार, व्याख्यान और डिबेट्स आदि का आयोजन किया जाता है.
* सर विश्वेश्वरैया के योगदान केंद्रित स्कूल और कॉलेज स्तर की निबंध, प्रश्नोत्तरी और पोस्टर प्रतियोगिता आदि आयोजित की जाती हैं.
* एसटीईएम (Science, technology, engineering, and mathematics) शिक्षा, तकनीकी नवाचार और नैतिक इंजीनियरिंग को बढ़ावा देने वाले सरकारी और गैर-लाभकारी अभियान चलाए जाते हैं.
* इंजीनियर्स डे हैशटैग और डिजिटल पोस्टर शेयरिंग के साथ सोशल मीडिया जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं
* इंजीनियरिंग की सामाजिक भूमिका पर आधारित लेखों, विशेष फ़ीचर और भाषणों का प्रकाशन किया जाता है.













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