‘ईद-ए-मिलाद’, ‘मिलाद-उन-नबी’ का त्योहार हजरत पैगंबर मुहम्मद साहब के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक इनका जन्म इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस्लाम के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल के 12वें मक्का में हुआ था. पैगंबर साहब को इस्लाम धर्म का संस्थापक माना जाता है. इस दिन मजलिसें लगाई जाती हैं. पैगंबर मोहम्मद के पवित्र संदेशों को पढ़ा जाता है. उनकी स्मृति में शायरी, कविताएं और ज्ञानवर्धक बातें पढ़ी जाती हैं. मस्जिदों में नमाज़ें अदा की जाती हैं. इस बार मिलाद-उन-नबी 10 नवंबर को मनाया जायेगा. आइये जानें पैगंबर मुहम्मद साहब के बारे में कुछ अनुछुई बातें.
परिचय पैगंबर हजरत मुहम्मद का:
इस्लाम धर्म के सबसे महान नबी और आखिरी पैगंबर मुहम्मद साहब का पूरा नाम पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था. उनका जन्म पवित्र शहर मक्का में हुआ. पिता का नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब और माता का नाम बीबी अमीना था. मान्यता है कि सन 610 ईं. में मक्का के पास हीरा नामक गुफा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया. हजरत मोहम्मद ने 25 साल की उम्र में खदीजा नाम की विधवा से शादी की. उनके बच्चे हुए, लेकिन लड़कों की मृत्यु हो गई. उनकी एक बेटी का अली हुसैन से निकाह हुआ. उनकी मृत्यु 632 ई. में हुई. उन्हें मदीना में ही दफनाया गया.
इस तरह मनाते हैं ईद-ए-मिलाद-उन-नबी?
हजरत मुहम्मद के जन्म की खुशी में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाते हैं. इस पर्व विशेष पर मोहम्मद साहब के सांकेतिक पैरों के चिह्न पर इबादत की जाती है. इस्लाम धर्म के अनुयायी इस पर्व को मनाने के लिए रात्रि भर जागते हैं. र भर जगह-जगह पर प्रार्थनाएं चलती हैं. जुलूस निकाले जाते हैं. सुन्नी मुसलमान इस दिन हजरत मुहम्मद के पवित्र वचनों को पढ़ते हैं और मस्जिदों में जाकर उन्हें याद करते हैं. जबकि शिया मुसलमान मुहम्मद साहब के रूप में अपना उत्तराधिकारी मिलने की खुशियों को पूरे उत्साह के साथ सेलीब्रेटी करते हैं. यह भी पढ़ें- Eid-e-Milad un Nabi 2019 Urdu Shayari: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर इन बेहतरीन WhatsApp Stickers, Shayaris, SMS, Quotes और Facebook Messages को भेजकर अपनों को दें शायराना अंदाज में मुबारकबाद
क्यों मनाते हैं ईद-ए-मिलाद:
हजरत मुहम्मद साहब ने अपनी शिक्षा में बताया है कि जो भूखा है उसे भोजन कराओ, जो बीमार है उसकी परवरिश करो भले ही वह मुसलमान हो या किसी और मजहब का हो. अगर किसी को गलती से बंदी बना लिया गया है तो उसे आजाद करवा देना चाहिए. इद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन एक दूसरे के प्रति दयालु होने की प्रेरणा भी दी जाती है.
इस दिन कुरान पढ़ने से अल्लाह का रहम बरसता है:
पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिवस के अवसर पर मुस्लिम समुदाय अपने-अपने घरों के साथ-साथ मस्ज़िदों को भी सजाया जाता है. नमाज़ों और संदेशों को पढ़ने के साथ-साथ गरीबों को खैरात बांटी जाती है. उन्हें खाना खिलाया जाता है. जो लोग किन्हीं कारणों से मस्जिद नहीं जा पाते, वे घर पर ही कुरान पढ़ते हैं. मान्यता है कि ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन कुरान का पाठ करने से अल्लाह का रहम बरसता है.