ठगी से बचें, ऐसे पहचानें केसर असली है या नकली?
भारत में ज्यादा ठंड वाले प्रदेशों जैसे जम्मू-कश्मीर, मनाली, शिमला, आदि जगहों पर केसर की खेती होती है. केसर बहुत महंगा होता है इसलिए इसकी खेती ज्यादा लोग नहीं कर पाते हैं. संपन्न किसान ही केसर की खेती कर पाते हैं....
भारत में ज्यादा ठंड वाले प्रदेशों जैसे जम्मू-कश्मीर, मनाली, शिमला, आदि जगहों पर केसर की खेती होती है. केसर बहुत महंगा होता है इसलिए इसकी खेती ज्यादा लोग नहीं कर पाते हैं. संपन्न किसान ही केसर की खेती कर पाते हैं. भारतीय केसर की मांग विदेशों में बहुत ज्यादा है. इसका इस्तेमाल गर्भवती महिलाओं को दूध में मिलाकर पीने, खीर, सेवई, औषधि आदि के रूप में होता है. आजकल हर जगह मिलावट होती है. बाजार में हर सामान का कॉपी उपलब्ध है. बहुत कम ही लोग हैं जो परख सकते हैं कि केसर असली है या नकली? अगर आप ठगी से बचना चाहते हैं तो आइए आपको बताते हैं असली केसर के लक्षण.
रंग: शुद्ध केसर का रंग हमेशा लाल होता है. केसर का रंग जितना ज़्यादा गाढ़ा हो, उसे उतना अच्छा माना जाता है. कई बार केसर के डिब्बी में लाल के साथ पीले रंग के केसर भी दिखाई देते हैं. अगर पीले रंग के केसर 2 या 3 से ज़्यादा है तो उसे न खरीदें. पीले रंग के केसर का वजन लाल रंग के केसर से काफी ज्यादा होता है और डिब्बी का वजन बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. पीले रंग की केसर में कोई भी औषधि गुण नहीं होते हैं.
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महक: असली केसर की सुगंध सूखी हुई घास की तरह आती है. अगर केसर सूंघने के बाद आपको कोई भी तेज या कड़वी गंध आती है तो वो केसर न खरीदें.
पानी में रंग: शुद्ध केसर का रंग पानी में धीरे-धीरे नजर आता है और अगर केसर नकली है तो पानी में डालते ही रंग छोड़ देता है.
स्वाद: इसका स्वाद कड़वा होता है. जरा-सा केसर लेकर अपने जीभ पर रखिए अगर 15-20 मिनट के बाद आपको सिर में गर्मी महसूस होती है, तो केसर असली है.
बता दें कि केसर का उपयोग आयुर्वेद में झड़ते बालों की समस्या के, लिए स्वस्थ और सुंदर त्वचा पाने के लिए, हृदय रोग में तथा रक्तचाप में किया जाता है. हाल ही में इसका उपयोग कैंसर को रोकने में भी किया जा रहा है. केसर हमेशा ठंडी, सूखी और अंधेरी जगह में कांच की हवा बंद डिब्बी में रखें, इससे इसकी खुशबू और स्वाद बरकरार रहेगा.