Dussehra’s traditions 2023: दशहरा एक परंपराएं अनेक! कहीं देवी प्रकट होती हैं, तो कहीं रावण का सिर फोड़ा जाता है!
Dussehra 2023 (Photo Credit- File Image)

भारत विभिन्न धर्म, वर्ण, भाषाओं एवं पर्वों वाला देश है. यहां हर 100 किमी के अंतराल पर भाषा, तहजीब, संस्कृति और परंपराओं के नये-नये रूप देखने को मिलते हैं. नवरात्रि के बाद विजयादशमी, जिसे दशहरा के नाम से मनाया जाता है, का पर्व बड़े उल्लास एवं परंपरागत तरीके से मनाया जाता है. देश भर में दशहरा पर्व की अलग मान्यताएं एवं अलग परंपराएं हैं. यहां हम दशहरा के हैरान करने वाली कुछ परंपराओं की चर्चा करेंगे.

क्या है जोगी बिठाई रस्म?

बस्तर में दशहरे का पर्व 75 दिन पूर्व शुरू हो जाता है. नवरात्रि एवं दशहरे से संबंधित यहां दर्जन भर से ज्यादा अनोखी और अद्भुत परंपराएं निभाई जाती हैं. नवरात्रि एवं दशहरा हंसी-खुशी बीत जाए, इसके लिए यहां ‘जोगी बिठाई’ रस्म निभाई जाती है. इसके तहत नवरात्रि के पहले दिन शहर के सिकासार भवन में एक गड्ढा खोदा जाता है. गांव का एक निवास इस गड्ढे में उतरकर नौ दिनों तक निर्जल व्रत के साथ तप करते हुए देवी की आराधना करता है. इस रस्म को जोगी बिठाई रस्म कहा जाता है. यह भी पढ़ें : Vijayadashami 2023: दिल्ली के सी आर पार्क में विजयादशमी पर महिलाओं ने मनाया ‘सिंदूर खेला’ उत्सव, खुशी से झूमती आईं नजर (Watch Video)

कुंवारी कन्या की अनुमति पर शुरू होता है दशहरा!

बस्तर (छत्तीसगढ़) में दशहरा के अवसर पर पिछले छ सौ वर्षों से अधिक समय से से अजीबोगरीब परंपरा का निर्वाह हो रहा है. दशहरा के दिन स्थानीय गांव की एक कुंवारी कन्या को देवी के रूप में सजाया जाता है. इसके बाद उसे बेल के नुकीले कांटों के झूले पर लिटाते हैं. मान्यताओं के अनुसार इस परंपरा को निभाते समय कन्या में देवी प्रवेश करती हैं, और दशहरा का पर्व शुरू करने का आदेश देती हैं. कहते हैं कि देवी के आदेश से शुरू किया गया दशहरे का पर्व बिना किसी विघ्न-बाधा के सम्पन्न होता है. इस परंपरा को काछन गादी कहते हैं.

यहां रावण पर पत्थरों की गोलियां बरसाई जाती है

दशहरा पर जहां सर्वत्र रावण का पुतला जलाया जाता है‌, वहीं कुछ स्थानों पर उनकी पूजा भी होती है, लेकिन यहाँ हम एक ऐसी जगह की चर्चा करेंगे, जहां रावण के पुतले पर पत्थरों की गोलियां बरसाई जाती है. यह जगह है, जिला राजसमंद स्थित प्रसिद्ध कृष्ण धाम मंदिर. यहाँ प्रत्येक दशहरा से पूर्व बांस और कागजों से रावण का पुतला बनाया जाता है‌. सिर की जगह मिट्टी का मटका रखकर रावण का चेहरा बनाते हैं. इसकी व्यवस्था सरकारी देवस्थान विभाग के कर्मचारी करते हैं. इसके बाद पत्थरों से बनी गोलियां रावण पर बरसाई जाती है. यह प्रक्रिया तब तक की जाती है, जब तक रावण का पुतला जमीन पर नहीं गिर जाता है‌.

यहाँ मनाई जाती है रावण की श्रद्धांजलि!

विजयादशमी के दिन उत्तर प्रदेश के इस भावसा कस्बे में रावण के संहार संहार पर शोक मनाते हुए स्थानीय ब्राह्मण समाज के लोग रावण की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धांजलि दिवस के रूप में मनाते हैं. कहा जाता है‌ कि ऐसा वे इसलिए करते हैं, क्योंकि वे रावण को अपना पूर्वज मानते हैं. विजयादशमी के दिन यहाँ के ब्राह्मण समाज के लोग रावण की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा- अर्चना करते हैं, अंत में शोक मनाकर प्रतिमा को नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दिया जाता है. यद्यपि ये ब्राह्मण भगवान श्रीराम के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हैं, लेकिन जो लोग रावण का अपमान करते हैं, या उन्हें अधर्मी मानते हैं, उसकी वे कड़ाई से निंदा करते हैं.