सनातन धर्म की संस्कृति में दीपावली (Diwali) सबसे महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय पर्व है. इसे दीपोत्सव अथवा प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन घर की साफ-सफाई, के बाद देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. घर को दीपों से सजाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार दीपावली का यह पर्व कार्तिक मास (Kartik Month) की अमावस्या की रात मनाया जाता है, जिसे साल की सबसे अंधेरी रात माना जाता है. इस वर्ष दुर्लभ खगोलीय संयोग एवं अन्य कारणों से दीपावली की मुख्य तिथि को लेकर दुविधा है कि देवी लक्ष्मी की पूजा 21 अक्टूबर को की जाएगी या 22 अक्टूबर 2025 को. आइये जानते हैं क्या कहते हैं ज्योतिष शास्त्री.. यह भी पढ़े : Karwa Chauth 2025 Mehndi Designs: करवा चौथ पर लगाएं ये लेटेस्ट ट्रेंडी मेहंदी डिजाइन, देखें वीडियो
द्रिक पंचांग के अनुसार, दिवाली पूजा मुहूर्त:
लक्ष्मी पूजा मुहूर्तः 07.08 PM से 08.18 PM (20 अक्टूबर 2025, सोमवार)
कुल अवधि: 1 घंटा 11 मिनट
प्रदोष काल: शाम 05.46 PM से रात 08.18
वृषभ कालः - शाम 07.08 PM 09.03 PM तक
गोवर्धन पूजा, भाई दूज एवं चित्रगुप्त पूजा की तिथियां
गोवर्धन पूजाः 22 अक्टूबर, 2025 बुधवार:
यह पर्व भगवान कृष्ण के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने इसी दिन गोवर्धन पर्वत (Govardhan Mountain) उठाकर मथुरावासियों को जल प्रलय से बचाया था.
भाई दूजः 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार:
पांच दिवसीय दीपावली के इस अंतिम दिन भाई-बहन का पावन पर्व भैया दूज मनाया जाता है, जब बहनें भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर उसकी सलामती की कामना करती हैं
चित्रगुप्त पूजाः 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार:
इसी दिन कायस्थ समाज के लोग अपने इष्टदेव श्री चित्रगुप्त महाराज एवं कलम दवात की पूजा करते हैं.
दीपावली तिथि को लेकर भ्रम क्यों है?
दीपावली तिथि दुविधा जनक स्थिति तब बनती है, जब अमावस्या तिथि दो दिन की होती है. इस वर्ष भी यही स्थिति बन रही है. इस वर्ष अमावस्या तिथि 20 और 21 अक्टूबर 2025, दोनों दिन को स्पर्श कर रही है, ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि शास्त्रानुसार किस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा एवं दीपदान श्रेयस्कर एवं शुभ होगा.
दीपावली-पूजा की सही तिथि का मूल आधार है प्रदोष व्यापिनी अमावस्या. शास्त्रानुसार जिस दिन सूर्यास्त के बाद यानी प्रदोष काल में अमावस्या उपस्थित हो, उसी रात को लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए. हिंदू धर्म शास्त्रों में भी प्रदोष काल को ही लक्ष्मी-पूजा का मुख्य़ कार्यकाल माना जाता है. धर्मसिंधु वचन के अनुसार
‘अथाश्विनामावास्यायांप्रातरभ्यंगः प्रदोषेदीपदानलक्ष्मीपूजनादिविहितं॥‘
अर्थात कार्तिक मास अमावस्या को प्रातः अभ्यंग स्नान और प्रदोष काल में दीपदान तथा लक्ष्मी पूजन का विधान है.
शास्त्रानुसार दीपावली 20 अक्टूबर को है या 21 अक्टूबर 2025 को?
20 अक्टूबर 2025, सोमवार:
सूर्यास्त: 05.42 PM
प्रदोषकाल आरंभ: 05.42 PM से
अमावस्या तिथि आरंभ: 03:45 PM से
बता दें कि इस दिन प्रदोष काल के आरंभ से संपूर्ण रात्रि तक अमावस्या व्याप्त रहेगा. लक्ष्मी-पूजन के लिए यही सबसे आदर्श और शास्त्र सम्मत स्थिति है.
उपरोक्त स्थितियों में अगर एक दिन पूर्ण व्याप्ति हो और दूसरे दिन न हो, तो धर्मसिंधु के अनुसार
‘पूर्वत्रैव प्रदोष व्याप्तौ लक्ष्मीपूजा दौपूर्वा अभ्यंगस्नानादौपरा॥‘
अर्थात यदि पहले दिन (20 अक्टूबर 2025) प्रदोष काल में अमावस्या हो, तो लक्ष्मी-पूजन आदि पहले दिन करना चाहिए. अलबत्ता अभ्यंग स्नान आदि अगले दिन किया जा सकता है.












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