Diwali 2019: क्या सच में दिवाली में पटाखे जलाना परंपरा का हिस्सा है ?
दिवाली 2019 (Photo Credits: IANS)

देशभर में दिवाली (Diwali 2019) का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. हर जगह इसकी रौनक देखते ही बन रही है. वैसे हिंदू धर्म में दिवाली रोशनी का त्योहार कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद अपने गृहनगर अयोध्या वापस लौटे थे. कहते है भगवान राम के लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने तेल के दीप जलाकर और मिठाई बांटकर खुशी मनाई थी. हालांकि रामायण या रामचरितमानस समेत किसी भी धर्मग्रंथ में दिवाली पर पटाखे फोड़ने का कोई जिक्र नहीं है. साथ ही पटाखे छोड़ने की परंपरा कब से शुरू हुई, इस बात की भी जानकारी कहीं नहीं मिल सकी है. इसलिए यह साफ़ है कि दिवाली पर पटाखे फोड़ना हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा नहीं है.

इन सब के बावजूद हर साल दिवाली के अवसर पर करोड़ों के पटाखे जलाएं जाते है. पटाखे की वजह से होने वाले हादसे में कई लोगों की जानें जाती है. लोग जख्मी होते है. दरअसल पटाखे बनाने के लिए मुख्य तौर पर बारूद का इस्तेमाल किया जाता है. जिसके जलने पर गाढ़ा धुंआ और तेज रोशनी के साथ आवाज आती है. इस दौरान सावधानी नहीं बरती गई तो जान-माल की बड़ी हानि होने की संभावना होती है. यह भी देखा गया है कि कई घातक किस्म के पटाखों के इस्तेमाल से मासूमों की मौत तक हो गई है. पटाखों से निकलने वाले जहरीले धुएं से श्वास संबधित गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.

उल्लेखनीय हैं कि पिछले साल दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से बैन लगाने से साफ इनकार कर दिया था. हालांकि देश की शीर्ष कोर्ट ने पटाखों की बिक्री और उसे जलाने पर कड़े नियम लागू किए. कोर्ट ने कम आवाज वाले पटाखे जलाने और जयादा प्रदुषण वाले पटाखों पर रोक लगाने का आदेश दिया. साथ ही पटाखों की ऑनलाइन बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया.

कोर्ट के इस आदेश का देशभर में पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर गहरा प्रभाव पड़ा. रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले साल 20,000 करोड़ रुपये के पटाखा कारोबार पर इसका असर पड़ा और दिवाली के दौरान बिक्री में 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

'शोरगुल और प्रदूषण' मुक्त दिवाली का एक बेहतरीन विकल्प ग्रीन पटाखे भी है. इन ग्रीन पटाखों से प्रदूषण की संभावना तकरीबन न के बराबर रहती है. दरअसल केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के अधीन कार्यरत पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन द्वारा की गई खोज का परिणाम हैं ग्रीन-पटाखे. इसी आर्गनाइजेशन द्वारा ईजाद फार्मूले पर भारत में ग्रीन-पटाखे बनाए जाने शुरू हुए हैं. इस समय देश में लगभग 28 निर्माता ग्रीन-पटाखों के निर्माण में जुटे हैं.