पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है. कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान कुबेर की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यतानुसार इसी दिन समुद्र-मंथन के दौरान भगवान धनवंत्री प्रकट हुए थे. इन्हें देवताओं का चिकित्सक भी कहा जाता है, जिनकी पूजा धनतेरस के दिन की जाती है. इसके अलावा धनतेरस के ही दिन भगवान कुबेर की भी पूजा का विधान है. कहते हैं कि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी की विधि-विधान से पूजा करने से आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, और भगवान कुबेर की पूजा करने पर धन, समृद्धि एवं वैभव की प्राप्ति होती है. इस दिन खरीदारी करना भी बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन लोग अपनी सामर्थ्यानुसार बर्तन, रसोईघर से संबंधित वस्तुएं, सोना चांदी आदि की खरीदारी करते हैं. इस संदर्भ में कहा जाता है कि समुद्र-मंथन से भगवान धनवंतरी कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए मूलतः इस दिन कलश खरीदकर पूजा के समय इसमें जल भरा जाता है, लेकिन कालांतर में लोगों ने इसके साथ अन्य चीजें भी खरीदनी शुरू की. परंपरानुसार धनतेरस के दिन जो बर्तन खरीदते हैं, उन्हें घर के मंदिर में रखा जाता है. दीवाली के दिन इन बर्तनों में खील-बताशे एवं प्रसाद आदि रखकर माता लक्ष्मी को अर्पित करते हुए पूजा की जाती है.
ऐसे करें भगवान कुबेर एवं धनवंतरी की पूजा!
धनतेरस के दिन संध्याकाल के समय धनतेरस की पूजा करने से उचित पुण्य-फल मिलता है. पूजा के लिए घर के मुख्य कमरे में उत्तर दिशा में एक छोटी चौकी रखकर इस पर लाल अथवा पीला वस्त्र बिछायें. इस पर गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान कुबेर एवं धनवंतरी जी की प्रतिमा रखें. इनके सामने धूप-दीप जलाकर हाथ में पुष्प एवं अक्षत लेकर भगवान कुबेर एवं धनवंतरी का ध्यान करते हुए उनका आह्वान करें. कुबेर जी को पीली मिठाई एवं पीले फूल अर्पित तथा भगवान धनवंतरी को सफेद फूल और सफेद मिठाई अर्पित करें. कुबेर एवं धनवंतरी जी के सामने शुद्ध घी का एकमुखी दीपक जलाएं. दोनों देवताओं का ध्यान करते हुए मंत्र पढ़ें. धनवंतरी जी का मंत्र है, ‘ॐ धनवंतरयई नमः और कुबेर जी का मंत्र है ‘ॐ ह्रीं कुबेराय नमः’. अब धनतेरस के दिन खरीदे हुए बर्तन रख दें. अब भगवान धनवंतरी से अपने एवं अपने परिवार के स्वास्थ्य एवं कुबेर जी से जीवन में धन का अभाव ना आने की प्रार्थना करें, एवं आरती उतारकर प्रसाद लोगों में वितरित करें. पूजा के पश्चात भगवान धनवंतरी जी की तस्वीर मंदिर में रखें और कुबेर जी की प्रतिमा अपनी तिजोरी में रखें.
नेत्रहीनों को दान का विधान!
मान्यता है कि भगवान धनवंतरी एकाक्षी यानी एक आंख वाले देवता हैं. इसलिए अगर धनतेरस के दिन किसी एक आंख वाले, नेत्रहीनों अथवा आंखों के मरीज को दान देने से आप स्वस्थ रहते हैं, जीवन में सम्पन्नता आती है. वैसे धनतेरस के दिन कुछ खरीदारी करके लौटते समय किसी गरीब को दान देने से भी आपको मानसिक एवं आर्थिक रूप से लाभ होगा. यह भी पढ़ें : Dhanteras 2021: धनतेरस से पूर्व करें खरीदारी! 60 साल बाद पुनः बन रहा है खरीदारी का महामुहूर्त
धनतेरस तिथि (2 नवंबर 2021) पूजा एवं खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 2 नवंबर 2021, मंगलवार को प्रदोष काल शाम 05.37 बजे से रात 08.11 बजे तक है. वहीं वृषभ काल शाम 06.18 बजे से रात 08.14 बजे तक रहेगा. धनतेरस-पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 06.18 बजे से रात 08.11 बजे तक रहेगा.
त्रिपुष्कर योग: प्रात: 06.06 से 11:31 तक. इस योग में खरीदारी की जा सकती है.
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11.42 बजे से दोपहर 12.26 तक. खरीदारी के लिए यह सबसे शुभ मुहूर्त है.