Dev Uthani Ekadashi 2025: देव उठनी एकादशी को साल की सबसे बड़ी एकादशी क्यों कहा जाता है? जानें इस दिन क्या करें क्या ना करें!
1 नवंबर 2025 को देव उठनी एकादशी मनाई जाएगी

  विष्णु पुराण के अनुसार साल की सभी 24 एकादशियों में देवउठनी (प्रबोधिनी एकादशी) को सबसे अधिक महत्वपूर्ण एकादशी है, क्योंकि आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग-निद्रा में चले जाते हैं, और चातुर्मास के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को जागृत अवस्था में आते हैं, इसी तिथि को देव उठनी एकादशी कहते हैं. इसके साथ ही शुभ कार्यों पर लगे प्रतिबंध खत्म हो जाते हैं, और शुभ विवाह, मुंडन-संस्कार, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. सनातन धर्म में इस दिन का विशेष महत्व होता है. इसी दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से देवी तुलसी का विवाह होता है. आइये जानते हैं, देव एकादशी के दिन हमें क्या करने से बचना चाहिए.

देवउठनी एकादशी के दिन क्या करें

प्रातःकाल स्नान एवं पूजा- सूर्योदय से पूर्व स्नान करें. गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ होता है. यह संभव नहीं हो तो घर के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें.

व्रत करें- देवउठनी एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. आप निर्जला व्रत अथवा फलाहार व्रत अपनी स्वेच्छा से रखें यह भी पढ़ें : Chhath Puja 2025 Wishes: छठ पूजा के इन शानदार हिंदी WhatsApp Messages, Facebook Greetings, Quotes के जरिए दें शुभकामनाएं

शालिग्राम-तुलसी की पूजा एवं विवाह

संध्याकाल में भगवान विष्णु (शालिग्राम) और तुलसी का विवाह सम्पन्न करें. तुलसी-विवाह करने से शुभ फल और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.

दीपदान करें- शाम को तुलसी के सामने दीपक प्रज्वलित करें. यह शुभता और लक्ष्मी का आगमन दर्शाता है, और व्रत कथा एवं आरती करें

दान करें- जरूरतमंदों को भोजनकपड़ेया अन्य वस्तुएं दान करें. इसके साथ ही ब्राह्मण को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है.

क्या ना करें

इस दिन चावलदालगेहूं आदि अनाजप्याज-लहसुन और मांसाहार नहीं खाना चाहिए।

* क्रोधझूठ और निंदा से बचें

* एकादशी का दिन संयम और भक्ति का प्रतीक है.

* किसी की बुराईझूठ बोलना या विवाद करने से बचें.

* नींद और आलस्य से दूर रहें.

* यह दिन भगवान विष्णु के जागरण का प्रतीक हैइसलिए खुद भी अधिक सोना या दिन में सोना अनुचित माना जाता है.

* शुभ कार्य शुरू करने से पहले पूजा अवश्य करें.

* विवाहगृह प्रवेश आदि शुभ कार्य देवउठनी एकादशी के बाद ही करेंलेकिन पूजा किए बिना आरंभ न करें.

* व्रत के दिन भगवान को नैवेद्य अर्पित करना आवश्यक है.