Dayanand Saraswati Jayanti Wishes 2022: भारत में महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती (Dayanand Saraswati Jayanti) 26 फरवरी शनिवार 2022 को मनाई जा रही है. इस दिन को देश के कई राज्यों में लोकप्रिय सांस्कृतिक अवकाश 2022 में से एक माना जाता है. यह दिन आर्य समाज के संस्थापक, एक सामाजिक नेता और एक भारतीय दार्शनिक महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती के रूप में मनाया जाता है. वह कई सामाजिक सुधारों के लिए खड़े हुए और भेदभाव और महिला असमानता के खिलाफ खुले तौर पर वकालत की. यह भी पढ़ें: Dayanand Saraswati Jayanti 2022: जानें दयानंद सरस्वती ने किन-किन कुरीतियों की खिलाफत की! क्या था उनकी अकाल मृत्यु का रहस्य?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आर्य समाज के संस्थापक और आधुनिक भारत के महान विचारक और समाज सुधारक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती हिंदू महीने फाल्गुन में कृष्ण पक्ष की दसवें दिन मनाई जाती है. भारत में सभी वैदिक संस्थान और धार्मिक प्रतिष्ठान इस दिन को बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं. दयानंद सरस्वती ने ब्रिटिश भारत में प्रमुखता से रहने वाली कर्मकांडी विचारधाराओं की निंदा की और समाज में वैदिक सिद्धांतों को पुनर्जीवित करने की दिशा में अपना योगदान दिया. दयानंद सरस्वती जयंती हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है. इस दिन अपने दोस्तों और परिवार के साथ ये Quotes, WhatsApp Stickers और HD Wallpapers के जरिये साझा करें.
1. आत्मा अपने स्वरूप में एक है,
लेकिन उसके अस्तित्व अनेक हैं. –
स्वामी दयानन्द सरस्वती जयंती की बधाई
2. सबसे प्यारा संगीत है आवाज़ तुम्हारी
मीठी आवाज़ ने सबकी दुनिया संवारी
सरल बनो, लेकिन बनो तुम स्पष्ट
ऐसे बनोगे तो होगा ना किसी को कष्ट
स्वामी दयानन्द सरस्वती जयंती की बधाई
3. नुक्सान से निपटने में सबसे ज़रूरी चीज़ है
उससे मिलने वाले सबक को ना भूलना
वो आपको सही मायने में विजेता बनाता है.
स्वामी दयानन्द सरस्वती जयंती की बधाई
4. सबसे उच्च कोटि की सेवा
ऐसे व्यक्ति की मदद करना है
जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में असमर्थ हो
स्वामी दयानन्द सरस्वती जयंती की बधाई
5. आप दूसरों को बदलना चाहते हैं
ताकि आप आज़ाद रह सकें. लेकिन,
ये कभी ऐसे काम नहीं करता.
दूसरों को स्वीकार करिए और आप मुक्त हैं.
स्वामी दयानन्द सरस्वती जयंती की बधाई
दयानंद सरस्वती को एस राधाकृष्णन और श्री अरबिंदो दोनों द्वारा "आधुनिक भारत के निर्माता" के रूप में सम्मानित किया गया था. शहीद भगत सिंह, मदन लाल ढींगरा, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान, लाला लाजपत राय जैसे कई नाम महर्षि दयानंद सरस्वती के उपदेशों से प्रेरित हुए. उन्होंने बचपन से ही संन्यास या तप के मार्ग पर चलना शुरू कर दिया और खुले तौर पर पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य, कर्म के सिद्धांतों की वकालत की.