सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) ने 19 नवंबर 2015 को भारतीयों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए हर साल 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के भारत सरकार के निर्णय को अधिसूचित किया. बीआर अंबेडकर द्वारा लिखित भारत के संविधान को एक अमेरिकी इतिहासकार ने ‘सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक दस्तावेज’ बताया है.
भारत में प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. यह दिन 'संविधान दिवस' के रूप में भी जाना जाता है, जो भारतीयों को देश के बनाए संविधान की राह पर चलने के लिए ध्यानाकर्षित करता है. गौरतलब है कि हमारा संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था, जबकि 19 नवंबर, 2015 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भारत सरकार के निर्णय को अधिसूचित किया. प्रत्येक भारतीयों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाया जाता है. ध्यान रहे कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित भारत के संविधान को अमेरिकी इतिहासकार ग्रेनविले सेवार्ड ऑस्टिन ने सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक दस्तावेज के रूप में परिभाषित किया था. डॉ अम्बेडकर ने संविधान सभा की प्रारूप समिति की अध्यक्षता की और संविधान की (प्रारूप) ड्राफ्टिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
भारत में ‘संविधान दिवस’ का इतिहास
डॉ अंबेडकर के विचारों एवं संविधान की शक्ति और महत्व को जन-जन के बीच प्रचारित करने के उद्देश्य से संविधान दिवस मनाने के लिए 26 नवंबर की तारीख चुनी गई थी. भारत सरकार ने 19 नवंबर 2015 को एक गजट अधिसूचना द्वारा 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया. प्रारंभ में इस दिवस को ‘कानून दिवस’ के नाम से मनाया जाता था, चूँकि सारा देश 2015 को संविधान रचयिता बी.आर. अम्बेडकर की 125वीं जयंती मना रहा था, इसलिए मई 2015 में भारत सरकार ने इस दिवस को बड़े पैमाने पर मनाने का निर्णय लिया. पूरे साल चलने वाले इस समारोह के लिए भारतीय प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में एक विशेष समिति की घोषणा की गई, जिसके माध्यम से अम्बेडकर के महत्वपूर्ण विचारों को प्रचारित और प्रसारित फैलाने के लिए पूरे वर्ष विभिन्न विभागों द्वारा तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए.
दुनिया का सबसे लंबा लिखित है भारत का संविधान
अक्टूबर 2015 डॉ आंबेडकर की 125वीं वर्षगांठ के सिलसिले में मुंबई स्थित इंदु मिल्स परिसर में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मारक की आधारशिला रखते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर के दिन ही ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा. ध्यान रहे ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, 13 समितियों की रिपोर्ट के आधार पर, संविधान का एक मसौदा अम्बेडकर की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय मसौदा समिति द्वारा तैयार किया गया था. लगभग 448 अनुच्छेदों, 25 भागों और 12 अनुसूचियों के साथ, भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है.
‘संविधान दिवस’ का महत्व
‘संविधान दिवस’ सभी भारतीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिवस है, क्योंकि इस दिन ब्रिटिश हुकूमत को खदेड़कर भारत ने सही मायने में पूर्ण आजादी मनाई थी. बता दें कि 15 अगस्त 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बावजूद, अगले तीन वर्षों तक भारत ब्रिटिश डोमिनियन बना रहा, जब तक कि 26 जनवरी, 1950 को देश का अपना संविधान लागू नहीं हो गया. संविधान दिवस का इसलिए भी बहुत महत्व है, क्योंकि यह भारतीय संविधान के जनक डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के विचारों को भी परिभाषित करता है. इस अवसर पर सरकारी, शैक्षणिक एवं न्यायिक संस्थानों में तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.